Thursday, November 21, 2024
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कैसे आसन पर बैठकर पूजा करना होता है शुभ

हिंदू धर्म में कोई भी पूजा या साधना बिना आसन पर बैठे नहीं की जाती है। आसन के बिना इसे निषेध माना गया है। वहीं कुछ खास वस्तुएं से बने आसन भाग्य पर असर डालते हैं। इनका वर्णन सनातन धर्म के पुराणों में किया गया है।  ब्रह्मांड पुराण के तंत्र सार में विविध आसनों के बारे में बताया गया है। पुराण के अनुसार जमीन को स्पर्श करते हुए बैठकर पूजा करने से कष्ट एवं मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति लकड़ी या फिर चटाई से बने आसन पर बैठकर पूजा करता है तो ये फलदायी नहीं होता है।

पूजा करते वक्त आसन का क्या होता है महत्व

अधिकांश लोग पद्मासन लगाकर बैठते हैं। कुछ लोग सिद्धासन लगाकर भी बैठते हैं। आप चाहे जिस भी तरह से बैठें लेकिन किस पर बैठ रहे हैं ये एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। कंबल, कुशा आदि पर बैठकर पूजा करने के पीछे विज्ञान छुपा हुआ है। पूजा या साधना के दौरान प्राप्त होने वाली ऊर्जा तेजी से शरीर में प्रवाहित होती है। यदि ये ऊर्जा तरंगे गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती में चली जाएं तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है।

पूजा करने के समय बैठने वाले आसन के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।

घर या मंदिर में पूजा जब भी करें तो किसी दूसरे के आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पूजा के बाद आसन को सही तरह से मोड़कर साफ स्थान पर रखना चाहिए।

पूजा के आसन का प्रयोग कभी भी किसी अन्य कार्य में न करें।

पूजा करते समय कंबल या आसन या फिर कुशा के आसन का प्रयोग करना उचित माना गया है।

कुशा के आसन पर बैठकर यदि मंत्र जाप किया जाए तो वो बहुत जल्द ही सिद्ध हो जाता है।

देवी आराधना और हनुमान जी की पूजा में लाल रंग के कंबल के आसन का प्रयोग करना चाहिए।

ध्यान रहे कि श्राद्ध आदि कर्म में कुशा का आसन वर्जित होता है।

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