Monday, May 5, 2025
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जेनेरिक दवाएं आम दवाओं से कितनी अलग

generic medicines: इन दिनों देश में जेनेरिक दवाओं की खूब चर्चा है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी डॉक्टरों से ये अपील की गई थी कि वो मरीजों को जेनेरिक दवाएं ही लिखकर दें. कोर्ट ने कहा था कि डॉक्टर अगर सिर्फ जेनेरिक दवाएं लिखना शुरू कर दें तो इससे दवा कंपनियों की घूसखोरी कम या बंद हो सकती है. इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी कहा था कि डॉक्टरों पर अक्सर दवा कंपनियों से रिश्वत लेने का आरोप लगता है. ऐसे में अगर डॉक्टर जेनेरिक दवाएं लिखेंगे, तो उनपर लगने वाले इल्जाम का मुद्दा भी हल हो जाएगा. आइए जानते हैं जेनेरिक दवाओं के बारें में.

generic medicines: क्या होती है जेनेरिक दवाएं 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जेनेरिक दवाएं किसी भी दवा का मूल रुप होती है. इन दवाओं में भी अपने ब्रांड वाले नाम की ही तरह ठीक वही सॉल्ट होते हैं. लेकिन ये दवाएं आमतौर पर ब्रांडेड दवाओं से बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हो जाती है.

 जेनेरिक दवाओं और ब्रांडेड दवाओं के बीच अंतर

सभी दवाओं को ही एक तरह के केमिकल सॉल्ट से तैयार किया जाता है. रिसर्च करने के बाद इन्हें अलग-अलग बीमारियों के लिए बनाया जाता है. जेनेरिक दवा जिस सॉल्ट से बनी होती है, उसी के नाम से जानी जाती हैं. जानकारी के लिए आपको बता दें कि जेनेरिक दवाइयां या ब्रांडेड दवाइयों में कोई फर्क नहीं होता है. यह दोनों ही एक जैसे ही काम करती हैं. अंतर केवल इतना है कि ब्रांडेड दवाइयां महंगी होती हैं क्योंकि उन पर दवा कंपनियों द्वारा मार्केटिंग करने का खर्च शामिल होता है. इसके अतिरिक्त उनका रिसर्च एंड डेवलपमेंट का खर्च भी शामिल होता है बल्कि जो जेनेरिक दवाइयां हैं उनमें दवा कंपनियों का सिर्फ बनाने का खर्चा होता है इसलिए वह सस्ती होती हैं.

 

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