Wednesday, October 8, 2025
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“गिव अप अभियान” की ऐतिहासिक सफलता: राजस्थान में  27 लाख सक्षम लाभार्थियों ने स्वेच्छा से छोड़ी खाद्य सब्सिडी

Rajasthan News : खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में असल हकदारों को एनएफएसए में स्थान देने हेतु विभाग द्वारा गिव अप अभियान गत वर्ष 1 नवम्बर को शुरू किया गया।

इस अभियान का उद्देश्य सक्षम लोगों को स्वेच्छा से खाद्य सब्सिडी त्यागने हेतु प्रेरित करना है ताकि गरीबों को खाद्य सुरक्षा का लाभ मिल सके। गिव अप अभियान के तहत प्रदेश भर में अब तक 27 लाख से अधिक सक्षम लाभार्थियों ने स्वेच्छा से खाद्य सुरक्षा छोड़ी है।

उन्होंने कहा कि गिव अप अभियान की ऐतिहासिक सफलता के कारण पात्र वंचित खाद्य सुरक्षा से जुड़ पा रहे है। गिव अप अभियान के तहत स्वेच्छा से खाद्य सब्सिडी त्यागने एवं ईकेवाईसी न करवाने के कारण एनएफएसए में बनी रिक्तयों से 56 लाख 62 हजार 268 पात्र वंचितों को विभाग खाद्य सुरक्षा से जोड़ पाया है। उन्होंने कहा कि सक्षम लोगों का त्याग गरीबों के मुंह का निवाला बन रहा है।

इस अभियान के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सूची में नई रिक्तियाँ बनने से सूची में जुड़े पात्र परिवारों को न केवल पोषण युक्त अन्न उपलब्ध कराया जा रहा है बल्कि उन्हें 25 लाख रूपये तक का निःशुल्क इलाज, 10 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा एवं 450 रूपये में प्रतिवर्ष 12 घरेलू सिलेंडर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

गोदारा ने बताया कि गिव अप अभियान में व्यापक जनभागीदारी को देखते हुए इसकी अवधि 31 अगस्त 2025 तक बढ़ा दी गई है।

मुख्यमंत्री एवं खाद्य मंत्री महोदय के निर्देशानुसार खाद्य सुरक्षा अंतर्गत जुड़े ऐसे परिवार जिनमें—कोई सदस्य आयकर दाता हो, कोई सदस्य सरकारी/अर्द्धसरकारी/स्वायत्तशासी संस्था में कर्मचारी हो, एक लाख से अधिक वार्षिक पारिवारिक आय हो एवं किसी सदस्य के पास चार पहिया वाहन हो (ट्रैक्टर आदि जीविकोपार्जन में प्रयुक्त वाहन को छोड़कर), निष्कासन सूची में शामिल है।

गिव अप अभियान के तहत जयपुर जिले में 2 लाख 21 हजार 726 लोगों ने स्वेच्छा से खाद्य सब्सिडी छोड़कर इस मुहिम में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इससे जिले के 2 लाख 42 हजार 813 जरूरतमंद लोगों को खाद्य सुरक्षा सूची से जोड़ा जा सका है। जिला रसद अधिकारी ने बताया कि इस सफलता में जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों का विशेष योगदान रहा है।

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