Thursday, November 21, 2024
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डॉक्टर की राय लिए बिना पुलिस जोड़ सकती है धारा 308 : हाईकोर्ट

Haryana News : स्थानीय अदालत द्वारा आपराधिक मामलें में बगैर डाक्टरी राय के धारा 308 भा.द.स. न लगाने पर पुलिस को बाध्य किया गया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब पुलिस जांच के दौरान आपराधिक मामलों में धारा 308 भा.द.स. (110 बीएनएस) बिना डॉक्टर के राय के भी लगा सकती है। पिछले साल रोहतक कोर्ट ने आदेश किया था कि कोई भी प्रभारी थाना धारा 308 भा.द.स बिना डॉक्टरी राय के नहीं लगाएगा।

जिला पुलिस रोहतक द्वारा आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने स्थानीय अदालत के इन आदेश को निरस्त करते हुए ये कहा है कि निचली अदालत पुलिस को धारा हटाने और जोड़ने के लिए बाध्य नहीं कर सकती। धारा 308 भा.द.स बिना डॉक्टरी राय के भी लगाई जा सकती है।

धारा 308 भा.द.स. (110 बीएनएस) में कहा गया है कि यदि कोई इस इरादे या ज्ञान के साथ कोई कार्य करता है कि, यदि इससे मृत्यु हुई, तो इसे गैर इरादतन हत्या माना जाएगा, उन्हें तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है, या जुर्माना, या दोनों; यदि इस कृत्य से किसी व्यक्ति को चोट पहुंचती है, तो सज़ा सात साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकती है। पुलिस द्वारा तथ्यों व जांच के धारा 308 भा.द.स. के तहत कई मामले दर्ज किए गए है। स्थानीय अदालत द्वारा पुलिस को धारा 308 भा.द.स. बगैर डॉक्टर की राय के लगाने पर रोक लगाई गई। रोहतक पुलिस द्वारा हाईकोर्ट में अपील करते हुए स्थानीय अदालत द्वारा जारी किए गए आदेश पर रोक लगाई गई।

गौरतलब है कि 23 मई 2023 को धारा 323/324/506/308 भा.द.स के तहत थाना शहर रोहतक में मामला दर्ज किया गया था। रोहतक पुलिस द्वारा दोषी के खिलाफ धारा 308 भा.द.स लगाने पर दिनांक 13.06.2023 को बेल एप्लीकेशन की सुनवाई के दौरान एसीजेएम रोहतक की अदालत द्वारा धारा 308 भा.द.स. के संदर्भ में आदेश जारी किए गये। जिसमें कहा गया कि पुलिस बिना डॉक्टर की राय लिए किसी भी आपराधिक मामले में धारा 308 भा.द.स नहीं लगा सकती। इस संदर्भ में जिला रोहतक के सभी प्रभारी थाना को निर्देश दिए गए कि डॉक्टर की रॉय के आधार पर ही धारा 308 भा.द.स. लगाई जाए।

जिला पुलिस ने जिला अदालत के आदेशों के खिलाफ  जिला एवं सत्र न्यायालय में सीआरआर 70/2023 के तहत अपील दायर की। दिनांक 05.09.2023 को अदालत द्वारा जिला पुलिस की अपील को खारिज करते हुए एसीजेएम की अदालत द्वारा दिए गए आदेशों को बरकरार रखा गया। जिला पुलिस द्वारा सीआरएम/एम-20265-2024 के तहत चण्डीगढ हाईकोर्ट में एसीजेएम अदालत द्वारा जारी किए आदेशों के खिलाफ अपील की गई। जस्टिस, चण्डीगढ़ हाईकोर्ट द्वारा दिनांक 26 अप्रैल 2024 को मामले की सुनवाई करते हुए एसीजेएम अदालत द्वारा जारी किए आदेशों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई गई। हाईकोर्ट द्वारा 9 सितंबर को स्थानीय अदालत के आदेशों को निरस्त कर दिया है।

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