Haryana News : गर्मी के मौसम में मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारी न फैलने पाएं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग तन्मयता से स्वास्थ्य सुरक्षात्मक कदम उठा रहा हैं। आमजन को मलेरिया व अन्य वाटर जनित बीमारियों से बचाव के लिए सभी को सजग एवं जागरूक किया जा रहा है।
अब बदलते गर्मी के मौसम में मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारियों पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के सहयोगी के रूप में जिला प्रशासन की टीमें भावना के साथ कार्य करेगी। नगर निगमों के अधिकारियों को शहरी क्षेत्रों तथा डीडीपीओ को ग्रामीण क्षेत्रों में मलेरिया से बचाव की दिशा में फॉगिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बताया कि जिलों में ब्रीडिंग चेकर, फील्ड वर्कर द्वारा घर-घर जाकर मलेरिया उन्मूलन संबंधी मच्छर के लार्वा की ब्रीडिंग की जांच की जा रही है। इसके अलावा गांवों में तालाबों व जोहड़ो में गम्बुजिया मछली भी छोड़ी जा रही है जो मच्छरों को पनपने नहीं देती। मलेरिया उन्मूलन की सभी टीमें ठहरे हुए पानी में काला तेल व टेमिफोस की दवाई का छिड़काव कर रही हैं जिससे मच्छर का लार्वा खत्म हो सके और जानलेवा बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की उत्पत्ति पर पूर्ण रूप से रोक लग सके। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।
इन बातों का रखें ध्यान
- एक जगह पर पानी को एकत्र न होने दें। मच्छर ठहरे हुए पानी मे अंडे देते हैं, जिससे मलेरिया व डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की बढ़ोतरी होती है। इसलिए नागरिक सप्ताह में एक दिन रविवार को ड्राइ डे के रूप मे मनाएं। इस दिन घर के सभी कूलर व टंकियों को अच्छी तरह से कपड़े से रगड़क़र साफ करें और फ्रिज की ट्रे के पानी को जरूर साफ करें। क्योंकि फ्रिज की ट्रे के साफ पानी में डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति होती है।
- कुलर, पुराने टायर, फूलदान, पानी एकत्रित होने वाले सभी बर्तनों इत्यादि को समय-समय पर चैक करें ताकि उसमें पानी खड़ा न हो और इसमें मच्छर पैदा न होने पाएं। नागरिक रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें ताकि मच्छर के काटने से बचा जा सके।
- मलेरिया के शुरुआती लक्षणों में तेज ठंड के साथ बुखार आना, सिर दर्द होना व उल्टियों का आना है। इसलिए कोई भी बुखार आने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर मलेरिया की जांच कराएं और अगर मलेरिया जांच में पाया जाता है तो स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख में उसका 14 दिन का इलाज कराएं।