स्वास्थ्य : चना चबेना अकसर हम उन चीजों को कहते हैं, जो चबाकर खायी जाती हैं। मकई का भुट्टा, चिउड़ा, भेल, कई तरह के भुने हुए दाने, भुने हुए चावल या मुरी, चना, मटर और मुरमुरों का चिउड़ा, भुना हुआ हरा और उबला चना, दर्जनों ऐसी चीजें हैं जो हम भारतीय चाहे देश के किसी भी कोने में रहते हों, किसी न किसी रूप में चबाते हैं। नई पीढ़ी तो खाने से ज्यादा इस चबेने को ही पसंद करती है। यह अलग बात है कि उसका चबेना देसी से ज्यादा मल्टीनेशनल होता है। दर्जनों तरह के चिप्स, कुरकुरे, पापड़, नमकीनें, ये भी चबेने का ही हिस्सा हैं। लेकिन ये घरेलू कम व आमतौर पर बाजार से मिलने वाले उत्पाद हैं, जिनमें स्वाद का जोर तो बहुत होता है, लेकिन ये शरीर के लिए उतने स्वास्थ्यवर्धक नहीं होते, जितने घर के बने चबेने होते हैं।
पौष्टिकता व स्वाद से भरपूर
कुछ लोग चबेने को खाने के बराबर का महत्व नहीं देते, लेकिन पौष्टिकता के जानकार बताते हैं कि न सिर्फ चना चबेना भोजन जितने ही पौष्टिक और पेट भराऊ होते हैं बल्कि ये स्वादिष्ट भी होते हैं। मसलन ज्यादातर चबेने में किसी न किसी रूप में चना मौजूद होता है, और भुना हुआ चना वास्तव में फाइबर और प्रोटीन का भंडार होता है। इसे खाने से देर तक भूख नहीं लगती। इसमें हाई बीपी को कंट्रोल करने की क्षमता होती है। लेकिन अगर किसी को हाई बीपी की समस्या है तो वह चने पर नमक लगाकर न खाए। चने वाला चबेना शुगर के मरीजों के लिए बहुत पौष्टिक होता है। इसके खाने से देर तक शरीर में खाना बने रहने की फीलिंग होती है, जिससे हम ओवर इटिंग से बचे रहते हैं।
पाचन में मददगार
सारे चने चबेने खाने से पेट भी खूब साफ रहता है। क्योंकि सभी चबेनों में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पेट के अंदर की गंदगी को हर हाल में बहुत अच्छी तरह से साफ कर देते हैं। पेट के साफ रहने से डायबिटीज, एनीमिया जैसी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। इस तरह देखें तो चना चबेना औषधियों के माफिक हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखने में कुशल भूमिका निभाते हैं।
खाली पेट रामबाण हैं
अंकुरित चने और अंकुरित दालों को सुबह खाली पेट खाने से न सिर्फ शरीर को जरूरी विटामिन्स, क्लोरोफिल, फास्फोरस और मिनरल्स मिलते हैं बल्कि इन्हें नियमित खाने से शरीर में अलग तरह की चमक दिखती है। त्वचा स्मूथ और टाइट हो जाती है,चेहरे में निखार आ जाता है। अगर रातभर भीगे हुए चनों के पानी में अदरक, जीरा और नमक डालकर पीया जाए तो वह कॉन्स्टिपेशन और पेट दर्द की समस्या से तुरंत राहत देता है। ऐसे ही भुने हुए अनाजों से बने सत्तू को हम चने चबेने की तरह इस्तेमाल करते हैं और यह भी शरीर को शक्ति प्रदान करता है व भूख देर तक शांत रखता है।
पथरी से राहत
आज के दौर में लोगों का पथरी से पीड़ित होना इसलिए आम हो गया है, क्योंकि हमारी जीवनशैली में ज्यादातर गैर फाइबर वाली चीजें हैं। वहीं बाहर के खाने में पड़ने वाले अजीनोमोटो भी पथरी का एक कारण होता है। अगर हम नियमित रूप से भोजन में चना चबेना को शामिल करते हैं तो खास तौर पर अंकुरित दालें और अंकुरित चनों का बनाया गया चबेना हमारी पथरी की समस्या को दूर कर सकता है। रातभर भिगोये गये चनों और दूसरी दालों के पानी को हम रोज सुबह सबसे पहले पीएं और फिर इन अंकुरित दालों और चनों को खाएं, तो पथरी की समस्या होने के चांस कम हो जाते हैं और वहीं पहले से मौजूद पथरी धीरे-धीरे शरीर से निकल भी सकती है।
यूरीन संबंधी समस्या
जिन लोगों को बार-बार पेशाब आता है या यूरीन से संबंधित समस्याओं से पीड़ित हैं, उन्हें भुने हुए चनों और भुनी हुई अन्य दालों का सेवन करना चाहिए। इससे यह समस्या दूर होती है। अगर भुने हुए चने में गुड़ मिलाकर खाएं तो पेशाब संबंधी कोई भी समस्या दूर होती है। साथ ही नियमित चना खाने से शरीर में भरपूर रूप से शक्ति बनती है। दावा तो यहां तक किया जाता है कि अगर कुष्ठ रोग से ग्रस्त लोग तीन साल तक लगातार अंकुरित चने खाएं तो उन्हें राहत मिलती है।