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किसानों के दिल्ली कूच के कारण सड़कें अवरुद्ध करने पर HC
Friday, November 22, 2024
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किसानों के दिल्ली कूच के कारण सड़कें अवरुद्ध करने पर HC ने मांगा जवाब, सभी पक्षों को नोटिस

किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए हरियाणा में सड़कों को बाधित करने व इससे लोगों को होने वाली परेशानी को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई।

चंडीगढ़। किसानों के दिल्ली कूच के विरोध में मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान केंद्र ने हाईकोर्ट को बताया कि हम एमएसपी के मुद्दे पर किसानों के साथ चर्चा करना चाहते हैं। किसान आंदोलन मामले पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र के साथ-साथ हरियाणा और पंजाब सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट इस मामले पर गुरुवार को अगली सुनवाई करेगा। इस दौरान दिल्ली सरकार भी अपना पक्ष रखेगी।

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछे सवाल

हरियाणा सरकार के वकील का कहना है कि राज्य में धारा 144 तब से लागू है, जब आखिरी विरोध प्रदर्शन हुआ था। तब कुछ आपराधिक वारदात हुई थी इसलिए हम कानून और व्यवस्था की आशंका वाली स्थिति से बचने के लिए एहतियाती कदम उठा रहे हैं। हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि वे निर्दिष्ट स्थानों पर विरोध करने के लिए दिल्ली सरकार से अनुमति ले सकते थे। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने हरियाणा सरकार से पूछा कि वे केवल आपके राज्य से गुजर रहे हैं। उन्हें आने-जाने का अधिकार है। आपने सीमा क्यों अवरुद्ध कर दी है? आप परेशान क्यों हैं? क्या वे हरियाणा में आंदोलन कर रहे हैं? आप सड़कें क्यों अवरुद्ध कर रहे हैं?

इस पर हरियाणा सरकार ने जवाब दिया कि दिल्ली से पांच किलोमीटर पहले इकट्ठा होने का आह्वान किया है। उन्होंने वहां हथियारों के साथ ट्रैक्टरों को मोडीफाई कर रखा है इसलिए हम कानून और व्यवस्था बनाए रखना चाहते हैं। पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि मुद्दा यह है कि वे विरोध प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ रहे हैं। पंजाब में इकट्ठा होने के लिए नहीं कोई सीलिंग नहीं है। यदि वे शांतिपूर्ण विरोध के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं तो हम भी इसकी अनुमति दे रहे हैं। भीड़ नियंत्रण आदि के लिए उचित व्यवस्था की गई है।

बलप्रयोग अंतिम विकल्प

हरियाणा सरकार ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया जा सकता है लेकिन यहां वे जनता को असुविधा में डाल रहे हैं। इनके पिछले रिकॉर्ड पर भी नजर डाली जाए तो सब कुछ पता चल जाएगा। एक्टिंग चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपको कैसे पता कि वे वही लोग हैं? किसी भी स्थिति में बलप्रयोग अंतिम विकल्प होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ये कहना बहुत आसान है कि उनके पास अधिकार हैं लेकिन सड़कों पर लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य को भी कदम उठाना होगा।उनके भी अधिकार हैं। अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार में संतुलन होना चाहिए। कोई भी अधिकार अलग नहीं है। सावधानी और एहतियात को ध्यान में रखा जाना चाहिए। किसी भी मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए। बल का उपयोग अंतिम उपाय होगा।

किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार केंद्र

केंद्र ने कहा कि जहां तक एमएसएपी का सवाल है। हम किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हैं। हम चंडीगढ़ में मीटिंग करने को तैयार हैं। बता दें कि याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है।यह धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र के स्तंभों पर आधारित है। संविधान के अनुच्छेद 13 से 40 तक इन सिद्धांतों का विस्तार से विवरण है। मौलिक अधिकार सेंसरशिप के बिना इन अधिकारों की स्वतंत्रता के प्रयोग की अनुमति देते हैं।

कार्रवाई से स्थिति और खराब

याचिका में कहा गया है कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जैसे कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं और बल्क एसएमएस को निलंबित करने सहित हरियाणा के अधिकारियों की कार्रवाई ने स्थिति को और खराब कर दिया है। लोगों को सूचना और संचार के अधिकार से वंचित कर दिया गया है। याचिका में कहा गया कि सरकार जिस तरह से किसानों को रोक रही है। रिपोर्ट से पता चलता है कि सड़कों पर कीलें और बिजली के तार लगे हैं। ये देशभर में उन्मुक्त आवाजाही के अधिकार का हनन है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विरोध करने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में सहायता करने के अधिकार को बरकरार रखा है। सरकार ने सड़कें अवरुद्ध करके मौलिक अधिकारों का हनन किया है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि यहां स्थायित्व क्या है? ये कितनी देर के लिए है? स्थायी नाकाबंदी से आप क्या समझते हैं?

बता दें कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के खिलाफ दाखिल दायर एक दूसरी जनहित याचिका में वकील अरविंद सेठ ने कहा कि हजारों वाहन दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। किसी को भी राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जनता को असुविधा की इजाजत नहीं दी जा सकती। अस्पताल जाने वाले लोगों को परेशानी हो रही है। सरकार ने स्थान निर्दिष्ट किए हैं। वहां लोग सरकार की नीतियों का विरोध कर सकते हैं, लेकिन वे विरोध करने के लिए कहीं भी जाकर जनता के लिए असुविधा नहीं बढ़ा सकते हैं।

इन्हें दिए गए नोटिस

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार, पंजाब सरकार, दिल्ली सरकार और यूटी प्रशासन सहित दोनों किसान यूनियन को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने केंद्र, हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा मिलकर इस मुद्दे का हल निकालने का प्रयास करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो दोनों राज्यों को सुरक्षा बल मुहैया करने के लिए केंद्र सरकार तैयार है।

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