चंडीगढ़। हरियाणा में ध्वस्त हो रही कई पुरातत्व, ऐतिहासिक इमारतों और स्थलों पर अतिक्रमण मामले में प्रशासन की कार्यप्रणाली पर हाई कोर्ट ने सवाल खड़े किया है। इसके साथ ही राज्य के मुख्य सचिव को जवाब दायर करने का आदेश दिए हैं। सुनवाई दौरान जब डीसी सिरसा की तरफ से सिरसा की थेहड़ में अतिक्रमण हटाने और पुनर्वास को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई तो हाई कोर्ट ने नाखुशी जाहिर की।
हाई कोर्ट ने कहा कि 29 नवम्बर 2019 को लगभग चार साल पहले उस समय की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने हाई कोर्ट में एक हलफनामा दिया था जिसमें बताया गया था कि उप मुख्यमंत्री और राज्य के राजस्व मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। उसे ग्राम पंचायत केलनिया का प्रस्ताव जिसने अपनी भूमि की पेशकश की है और उक्त को विकसित करने के लिए इसे खरीदने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर विचार किया गया था। तैयार की गई योजना के अनुसार, उस जमीन पर भूखंड बना कर आवंटन किया जाएगा।
थेहड़ टीले की शेष 54 एकड़ जमीन को खाली करने की कवायद को 12 महीनों के भीतर लिया जाएगा और पूरा किया जाएगा। हाई कोर्ट ने कहा कि उस हलफनामे के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया 29 नवंबर 2020 को पूरी होनी थी लेकिन चार बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इसलिए हाई कोर्ट वर्तमान मुख्य सचिव को आदेश देता है कि वह एक हलफनामा दायर कर यह बताएं कि हाई कोर्ट में दायर जवाब व कोर्ट के आदेश की पालना क्यों नहीं हुई। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया था कि यहां रह रहे लोगों का अन्य जगहों पर पुनर्वास किया जाएगा और इसके लिए बजट भी तैयार है।
इस पर हाई कोर्ट ने कहा था कि अब इस मामले में राज्य के किसी एक ऐतिहासिक स्थल पर नहीं बल्कि सभी ऐतिहासिक स्थलों पर सुनवाई होगी। इससे पहले कार्रवाई नहीं होने पर हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकार महज ऐतिहासिक धरोहरों और संस्कृति को बचाने के झूठे दावे कर रही है। इस मामले में हरियाणा की कई ऐतिहासिक इमारतों और किलों में किए गए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ हाई कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेकर हरियाणा सरकार और छह जिलों के डीसी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने हाई कोर्ट को बताया था कि डीसी हाई कोर्ट द्वारा जारी एक आदेश के तहत पुरातत्व और ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित करने में सहयोग नहीं कर रहे है। हिसार, सिरसा, करनाल, गुरुग्राम, पलवल, हिसार में पुरातत्व से जुड़ी कई इमारतें डीसी की लापरवाही के कारण संरक्षित नहीं हो रही हैं।