रोहतक। हरियाणा के लाल के देश सेवा के जज्बे ने प्रदेश का नाम रोशन किया है। एक कहवात है, पूत के पांव पालने में दिखाई देते हैं। ऐसे में इस कहावत को चरित्रार्थ कर दिखाया है चरखी दादरी के लाल मेजर मोहित सांगवान ने। पहले पड़दादा, दादा, पिता और अब मोहित ने सेना में परंपरा को बढ़ाते हुए सेना में अपनी प्रतिभा दिखाते हुए बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 75वें गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना के 80 जवानों को वीरता पुरस्कार देने की मंजूरी दी है। मेजर मोहित सांगवान चरखी दादरी के रहने वाले हैं लेकिन वर्तमान में रोहतक के 32 सेक्टर के निवासी हैं।
वीरता पुरस्कार के लिए नाम शामिल
बता दें कि 75वें गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना के 80 जवानों को वीरता पुरस्कार देने की मंजूरी दी है। जिसमें दादरी के गांव डोहकी निवासी मेजर मोहित सांगवान भी शामिल है। बेटा मोहित सांगवन को सेना का सर्वोच्च वीरता मेडल मिलने की खुशी में परिजनों ने ग्रामीणों संग मिलकर जहां खुशियां मनाई, वहीं बेटे को देश का गौरव बताया। फौज में कई सफल आप्रेशनों में वीरता दिखाने वाले मोहित सांगवान के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है।
बेटे की वीरता पर माता पिता को गर्व
खुशी के मौके पर उनके परिजन गांव में मिठाई बांट रहे हैं। उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उनके गांव के लोगों ने कहा हरियाणा के लाल मोहित ने गांव के साथ-साथ प्रदेश का भी नाम रोशन किया है। मोहित के पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मोहित ने 12वीं के बाद आर्मी के लिए और इसरो में साइंटिस्ट बनने के लिए भी परीक्षा पास की थी लेकिन फैमिली बैकग्राउंड आर्मी का होने की वजह से उसका अधिक इंट्रेस्ट सेना में जाने का ही था। इसलिए उसने इसरो को छोड़ कर सेना में जाकर देश की सेवा करने को महत्व दिया। हमारे बेटे ने एक बड़ी और अच्छी उपलब्धि हासिल की है। हमें पूरा विश्वास है कि मोहित आगे भी इसी तरह से देश की सेवा करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि ये बहादुरी के लिए वीरता पुरस्कार है। मोहित ने नार्थ ईस्ट में अपनी सर्विस के दौरान कई ऑपरेशनों में वीरता दिखाई। जिसके वजह से उनको सेना का मेडल मिला है। वहीं, मोहित की मां ने कहा कि मेरे बेटे को सेना मेडल मिला है। हम सब बहुत खुश हैं। हमारे बेटे ने गांव और प्रदेश का नाम रोशन किया है। इसके लिए मुझे मेरे बेटे पर गर्व है। मैं चाहती हूं कि सभी बेटे इसी तरह गर्व का काम करें।
मातृभूमि की सेवा के लिए खुद को किया समर्पित
ग्रामीणों ने कहा कि सेना जवानों के नाम से विख्यात डोहकी गांव में सेना सर्वोच्च मेडल पाने वाले मोहित सांगवान ने गांव का रिकॉर्ड बना दिया। मेजर मोहित सांगवान अपने दिवंगत पड़दादा, दादा नेतराम सांगवान, पिता विजेंदर सिंह से प्रेरणा लेते हुए वर्ष 2014 में सेना में कमीशन लेते हुए लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए और अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने की उनकी आकांक्षा को प्रेरित किया। मोहित ने प्रारंभिक शिक्षा गांव में की और बाद में आर्मी स्कूल में चले गए थे। मोहित ने सेना में उत्तर-पूर्व क्षेत्र के चुनौतीपूर्ण इलाकों में कई सफल ऑपरेशनों में नेतृत्व व कौशल के साथ-साथ अटूट साहस का प्रदर्शन किया। यहीं कारण है कि उसे सेना का वीरता मेडल देने की घोषणा हुई है।