Saturday, March 22, 2025
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हरियाणा में पति-पत्नी को छोड़कर अब खून के रिश्ते में साझी जमीन का होगा बंटवारा, विधेयक पारित

Haryana News : साझी जमीन के बंटवारे को लेकर विधानसभा में हरियाणा भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक – 2025 पारित कर दिया गया है।

नए कानून के अनुसार पति-पत्नी को छोड़कर सभी संयुक्त भू-मालिक, चाहे वे खून के रिश्ते में ही क्यों न हों, उनका आपसी सहमति से बंटवारा नहीं हो पाता है, तो सहायक कलेक्टर एवं तहसीलदार की कोर्ट 6 महीने के अंदर ऐसी जमीन का बंटवारा सुनिश्चित करेगी। खून के रिश्ते में साझी जमीन का बंटवारा होगा, 1 लाख केस खत्म होंगे। नए कानून से प्रदेश के 14 से 15 लाख किसानों को राहत मिलेगी।

बता दें कि पंजाब भू-राजस्व अधिनियम, 1887 (अधिनियम संख्या 1887) में एक संशोधन पंजाब भू-राजस्व (हरियाणा संशोधन) अधिनियम, 2020 (हरियाणा अधिनियम 2021 का संख्या 19) द्वारा किया गया था, जिसमें संयुक्त मालिकों के बीच हिस्सेदारी से संबंधित धारा 111-क का समावेश किया गया था, जिसका उद्देश्य सिविल एवं राजस्व न्यायालयों में मुकदमों की संख्या को कम करना था। जब अधिनियम 2021 का संख्या 19 बनाया गया, तो धारा 111-क को यह शर्त लागू नहीं की गई थी कि यह उन मामलों में लागू नहीं होगी जहाँ सभी सह-स्वामित्वकर्ता रक्त संबंधी हों या अन्य सह-स्वामित्वकर्ता पति-पत्नी हों। अब यह महसूस किया गया है कि रक्त संबंधी सह-स्वामित्वकर्ताओं के बीच भी संयुक्त हिस्सेदारी के मामले में महत्वपूर्ण मुकदमेबाजी हो रही है। इस प्रकार, उन मामलों में जहाँ कोई रक्त संबंधी सह-स्वामित्वकर्ता संयुक्त भूमि पर हिस्सेदारी की मांग करता है, उसमें इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए धारा 111-क के शीर्षक में संशोधन का प्रस्ताव है, जिससे यह धारा सभी भूमि मालिकों पर लागू हो, सिवाय पति-पत्नी के संबंध के।

हरियाणा भू-राजस्व अधिनियम, 1887 (पंजाब अधिनियम 1887) में अन्य संशोधन आवश्यक है ताकि भागीदारी मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित किया जा सके। उक्त अधिनियम की धारा 114 के अनुसार, राजस्व अधिकारी पर यह अनिवार्य है कि वह यह सुनिश्चित करें कि कोई अन्य सह-स्वामी अपनी हिस्सेदारी का बंटवारा करना चाहते हैं या नहीं. और यदि हां, तो उन्हें बंटवारे के लिए आवेदनकर्ताओं के रूप में जोड़ें। यह अक्सर देखा गया है कि किसी खेवट के सह-स्वामी, जिनकी संयुक्त संपत्ति है, अपनी भूमि का अधिकतम उपयोग नहीं कर सकते जब तक कि उसका बंटवारा न किया गया हो और वे विशेष भूमि के एकमात्र मालिक न बन जाएं, जिनके पास विशिष्ट खसरा नंबर और आवश्यकता के अनुसार उचित ततिमा तैयार किया गया हो। इसलिए, यह आवश्यक है कि धारा 114 को हटाया जाए ताकि एक सह-स्वामी केवल अपनी हिस्सेदारी का बंटवारा करवा सके। राजस्व अधिकारी पर यह अनिवार्य नहीं होगा कि यह सह-स्वामियों द्वारा आवेदन प्राप्त होने पर यह सुनिश्चित करें कि क्या अन्य सह-स्वामी अपनी हिस्सेदारी का बंटवारा करना चाहते हैं।

 

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