हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्रदेश की स्लम बस्तियों और वंचित क्षेत्रों में पंजीकरण से छूटे हुए बच्चों के जन्म-पंजीकरण के लिए एक विशेष अभियान शुरू करें।
सिविल सर्जन इन क्षेत्रों का दौरा करेंगे और व्यक्तिगत रूप से गतिविधियों की निगरानी करेंगे। साथ ही, उन्होंने उन जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भी सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी जिनके जिले में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कम लिंगानुपात आया है।
सुधीर राजपाल लिंगानुपात को नियंत्रित करने से संबंधित गठित “स्पेशल टास्क फोर्स” की की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
जन्म पंजीकरण से संबंधित गतिविधियों की निगरानी करेंगे सिविल सर्जन
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्लम एरिया तथा अन्य पिछड़े क्षेत्रों में सभी बच्चों का जन्म पंजीकरण नहीं हो रहा है, इसलिए इन क्षेत्रों के लिए जन्म पंजीकरण हेतु विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने अभियान की निगरानी के लिए सभी सिविल सर्जन की ड्यूटी भी लगाने के भी निर्देश दिए, वे समय-समय पर औचक निरीक्षण करके जन्म पंजीकरण से संबंधित गतिविधियों की निगरानी करेंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कुछ जिलों में लिंगानुपात में वांछित सुधार न होने पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि जिस सीएमओ के क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में निर्धारित अवधि के दौरान लिंगानुपात कम पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ईएमटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव को जानकारी दी गई कि संतोषजनक कार्य न करने के कारण पिछले महीने एक फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है और स्वास्थ्य विभाग के “एमरजेंसी मैडिकल टेकनिसियन” (ईएमटी) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
उनको यह भी जानकारी दी गई कि गत वर्ष जहां एक जनवरी 2024 से 8 अक्तूबर 2024 तक लड़कियों का लिंगानुपात 905 था, वहीं इस वर्ष एक जनवरी 2025 से 8 अक्तूबर 2025 तक लिंगानुपात 4 अंकों के सुधार के साथ 909 है।
इस अवसर पर बैठक में एनएचएम के एमडी डॉ. आर. एस. ढिल्लों, डीजीएचएस (विभागाध्यक्ष) डॉ. मनीष बंसल, डीजीएचएस (पी) डॉ. कुलदीप सिंह, एफडब्ल्यू एवं पीएनडीटी की निदेशक डॉ. सिम्मी वर्मा, एमसीएच के निदेशक डॉ. वीरेंद्र यादव और महिला एवं बाल विकास, आयुष एवं डीजीएचएस कार्यालय के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।