Tuesday, May 6, 2025
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धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को अब अनुदान के रूप में मिलेंगे 8000 रुपये प्रति एकड़

चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कम पानी वाली फसलों की बिजाई करने तथा धान की पराली का प्रबंधन करने के प्रति किसानों को  प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार के अनुदान बढ़ाने की घोषणा की है।

उन्होंने बजट पेश करते हुए कहा कि “मेरा पानी मेरी विरासत योजना’ के तहत धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को मिल रही अनुदान राशि ₹7000 प्रति एकड़ से बढ़ाकर ₹8,000 प्रति एकड़ की गई है। साथ ही, जो ग्राम पंचायतें अपनी काश्त लायक भूमि को धान उगाने के लिए पट्टे पर देने की बजाय खाली छोड़ेंगी, उन्हें भी अब यह प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करवाई जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जानते हैं कि धान की सीधी बुआई में 20 से 30 प्रतिशत  तक कम पानी लगता है। उन्होंने बताया कि अब धान की सीधी बुआई अर्थात् डीएसआर से बुआई करने वाले किसानों को दी जाने वाली अनुदान राशि को ₹4000 प्रति एकड़ से बढ़ाकर ₹4500 प्रति एकड़ किया गया है।

उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि धान की पराली का प्रबंधन करने वाले किसान को अभी ₹1000 प्रति एकड़ अनुदान राशि मिलती थी ,इसे बढ़ाकर ₹1200  प्रति एकड़ किया गया है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 के 25,000 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती के लक्ष्य के मुकाबले इस वर्ष 1 लाख एकड़ भूमि का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक कम से कम 2 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सरकार की खास योजना का लाभ मिलता था। अब इस सीमा को घटा कर एक एकड़ किया गया है।

इसी प्रकार, लवणीय / नमकीन भूमि को पुनर्जीवित किये जाने के चालू वर्ष के 62,000 एकड़ के लक्ष्य को वर्ष 2025-26 में बढ़ाकर 1,00,000 एकड़ किये जाने का प्रस्ताव किया गया हैl

किसानों के लिए की कई नई घोषणाएं

 मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कृषि विभाग के बजट में 19.2 प्रतिशत , बागवानी में 95.50 प्रतिशत , पशुपालन में 50.9 प्रतिशत तथा मत्स्य पालन विभाग में 144.40 प्रतिशत बजट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। वित्त मंत्री द्वारा अब कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का बजट बढ़कर  4229.29 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया गया है।

मुख्यमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि कृषि व उससे जुड़ी गतिविधियाँ हमारे छोटे से प्रदेश की अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ की हड्डी हैं और हमेशा रहेंगी। हर किसान की खेती में लागत कम करना, उसकी फसलों की पैदावार को हर वर्ष बढ़ाते रहना, हर फसल को एमएसपी पर खरीद की गारंटी देना, उसके खेत की मिट्टी की सेहत अच्छी रखना, उसके खेत में  पानी की हर बूंद से अधिक से अधिक उपज लेना, उसे अच्छे बीज, खाद और कीटनाशक उपलब्ध करवाना, उसकी रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करना, प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देना और उसकी आय को लगातार बढ़ते रहना ही प्रदेश सरकार की पिछले दस वर्षों की तरह इस वर्ष भी परम प्राथमिकताएं रहेगी।

उन्होंने कहा कि गत 9 जनवरी को हिसार कृषि विश्वविद्यालय के प्रांगण में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन और सहकारिता से जुड़े सैकड़ों किसानों तथा कृषक उत्पादक संगठनों से लोगों के साथ लगभग 5 घंटे चले विचार-विमर्श में 161 सुझाव मिले थे।

मुख्यमंत्री ने ख़ुशी जताई कि इस विचार-विमर्श के दौरान हर वक्ता ने “मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल” , ई-खरीद पोर्टल, “मेरा पानी मेरी विरासत”, “भावान्तर भरपाई योजना”, फसल अवशेष प्रबन्धन प्रोत्साहन और प्राकृतिक खेती जैसी अनेक योजनाओं की प्रशंसा की थी तथा इन सभी नवाचारों को आगे बढाने का आग्रह भी किया गया था।

उन्होंने बताया कि उस बैठक के प्रायः सभी सुझावों को इस बजट में किसी न किसी रूप में शामिल करने का पूरा प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री ने किसानों से मिले छह नीतिगत सुझावों का वर्णन भी किया। उन्होंने बताया कि नकली बीज व कीटनाशक बेचने वाले असामाजिक तत्वों के चंगुल से किसानों को बचाने के लिए सदन के इसी सत्र में एक बिल लाया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि शीघ्र ही एक नई बागवानी नीति बनाई जाएगी जिसके तहत मूल्य संर्वधन, भण्डारण, प्रोद्यौगिकी, मार्केटिंग आदि के द्वारा प्राकृतिक व जैविक बागवानी को दोनों प्रकार के एफपीओ के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो कृषक उत्पादक संगठन अर्थात् एफपीओ एक कम्पनी के रूप में पंजीकृत है, उन्हें तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है परंतु जो कृषक उत्पादक संगठन एक सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत है, वे इन योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते है। इस बागवानी नीति से यह अंतर समाप्त हो जाएगा।

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