चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा की सीमा पर खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान एक युवक की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 22 साल के युवक शुभकरण की मौत के मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। इसके खिलाफ अब हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें एक प्रदर्शनकारी शुभ करण सिंह की मौत की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। हरियाणा पंजाब सीमा पर 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के बीच झड़प के बाद शुभकरण सिंह मारा गया था।
पंजाब पुलिस से मांगा संबंधित रिकॉर्ड
सात मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के अनुसार, हरियाणा सरकार ने मुख्य रूप से तर्क दिया है कि जब राज्य पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच करने के लिए तैयार है, तो जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य ने पहले ही मामला दर्ज कर लिया है और पंजाब पुलिस से घटना से संबंधित रिकॉर्ड मांगा है।
अगले सप्ताह हो सकती है सुनवाई
इस मामले में हरियाणा की तरफ से गलती नहीं है और इसीलिए हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इस अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है। हाई कोर्ट पीठ ने आदेश दिया था कि तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर करेंगे। उनके साथ हरियाणा के एडीजीपी अमिताभ सिंह ढिल्लों व पंजाब के एडीजीपी प्रमोद बन को कमेटी का हिस्सा बनाया है।
दोनों सरकार को देना होगा बराबर का हिस्सा
जस्टिस जय श्री ठाकुर को प्रतिमाह 5 लाख रुपये का भुगतान दोनों सरकारों को बराबर हिस्से में करना होगा। कमेटी तय करेगी कि शुभकरण की मौत हरियाणा के क्षेत्राधिकार में हुई थी या पंजाब के क्षेत्र में। मौत का कारण क्या था और किस हथियार का इस्तेमाल किया गया था। आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग किया गया था क्या वह परिस्थितियों के अनुरूप था या नहीं। साथ ही शुभकरण की मौत के मुआवजे को लेकर भी कमेटी फैसला लेगी।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने किसान शुभकरण की मौत के बाद एफआईआर दर्ज करने में देरी पर हरियाणा व पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि दोनों राज्य जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने का प्रयास कर रहे हैं। राज्यों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा था कि मौत जाहिर तौर पर अत्यधिक पुलिस बल का मामला है।
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछे थे सवाल
इस दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि किसानों पर गोलियां क्यों दागी गई। हरियाणा सरकार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की हिंसक कार्रवाई में 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और कई बार चेतावनी के बाद पहले लाठीचार्ज, फिर आंसू गैस, फिर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया लेकिन जब बात नहीं बनी तो रबर की गोलियां चलाई गई।