हरियाणा सरकार ने हरियाणा सिविल सचिवालय में कार्यरत सभी राज्य जन सूचना अधिकारियों (एसपीआईओ) को यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे मुख्य सचिव कार्यालय के आरटीआई प्रकोष्ठ द्वारा प्रेषित सूचना का अधिकार (आरटीआई) से जुड़े सभी आवेदनों को अनिवार्य रूप से स्वीकार करें। सरकार ने यह भी दोहराया है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, इसलिए इस संबंध में किसी भी प्रकार की लापरवाही या असहयोग को गंभीरता से लिया जाएगा। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के बाद मुख्य सचिव, हरियाणा के कार्यालय में एक आरटीआई प्रकोष्ठ का गठन किया गया था। इसका मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि मुख्य सचिव को संबोधित सभी आरटीआई आवेदनों की सावधानीपूर्वक जांच की जाए और उन्हें उसी विभाग या विशेष सूचना अधिकारी को भेजा जाए, जिसके अधिकार क्षेत्र में मांगी गई सूचना आती है।
यह प्रक्रिया धारा 6(3) में वर्णित प्रावधानों के अनुरूप है। इसके तहत यदि कोई आवेदन ऐसे विषय से संबंधित हो, जो किसी अन्य अधिकारी या प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र से अधिक निकटता से जुड़ा हो, तो उस आवेदन को सीधे उसी अधिकारी अथवा प्राधिकरण को भेजा जाना चाहिए।
हालांकि, हाल ही में यह देखा गया है कि कुछ एसपीआईओ आरटीआई प्रकोष्ठ द्वारा भेजे गए आवेदनों को स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं। इससे न केवल पारदर्शिता और सुशासन की प्रक्रिया प्रभावित होती है बल्कि ऐसे मामलों में आरटीआई अधिनियम की मूल भावना की भी अवहेलना होती है और आवेदकों के सूचना प्राप्त करने के अधिकार पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी विशेष सूचना अधिकारी को कोई ऐसा आवेदन प्राप्त होता है, जो किसी अन्य अधिकारी के कार्यक्षेत्र से संबंधित हो, तो उस आवेदन को सीधे उपयुक्त अधिकारी को भेजना उसकी जिम्मेदारी होगी। इस प्रकार के आवेदन किसी भी परिस्थिति में पुनः आरटीआई प्रकोष्ठ को वापस नहीं किए जाने चाहिए।
सरकार ने यह भी हिदायत दी है कि यदि भविष्य में किसी एसपीआईओ द्वारा स्थानांतरित आवेदन को स्वीकार करने से इंकार किया जाता है, तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी और मामला राज्य सूचना आयोग को भेज दिया जाएगा, जो आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 20 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है।
इसके साथ ही, सरकार ने यह भी दोहराया है कि यदि आयोग द्वारा किसी भी एसपीआईओ के विरुद्ध प्रतिकूल टिप्पणियाँ की जाती हैं या दंड लगाए जाते हैं, तो उसके लिए संबंधित अधिकारी भी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
यह कदम इस उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का अक्षरशः पालन करें और नागरिकों को समयबद्ध तथा सटीक जानकारी उपलब्ध कराने की अपनी संवैधानिक और कानूनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें।