पवन कुमार बंसल : इस घोटाले बारे सरकार चुप है। अफसर एक दूसरे को चिट्ठी लिखकर समझ रहे है की उन्होंने अपनी ड्यूटी पूरी कर दी है। ऐसा नहीं है कि यह मामला मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संज्ञान में नहीं है। चार साल पहले उन हे इस बारे बाकायदा पत्र लिखा गया था। तब तक ओडेसी डेवेलपर्स ने यह जमीन गुरुग्राम के डेवेलपर्स डेवोक को नहीं बेचीं थी। लेकिन मनोहर लाल को अग्रिम आगाह किए जाने के बाद भी कालका तहसील में रजिस्ट्री हो गयी।
शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल ने बाकायदा २२ जून २०१९ को मोदी और मनोहर लाल को पत्र लिखकर इसकी सी बी आई जांच की मांग की थी। पत्र की मुख्य बाते।
वर्ष १९३७ में पटियाला रियासत के राजा भूपिंदर सिंह ने सीमेंट बनाने तथा स्थानीय लोगो को रोजगार देने के लिए चूना ,पत्थर ,खदान एवं ५३२ बीघा एवं ग्यारह बिस्वा जमींन एसीसी को लीज पर दी थी। बाद के सरकारों ने लीज को आगे बढ़ाया जो १९९७ तक रहा।
प्रदूषण नियमो की अवेहलना के चलते फैक्टरी १९९७ को बंद हो गयी। बस यही से माफिया का खेल शुरू हो गया। लीज खत्म होने पर जमीन और मशीनें लीज की शर्तों के मुताबिक हरियाणा सरकार की होनी थी। सरकार ने इस बारे एसीसी को लिखा. इंडस्ट्री महकमे से फैक्ट्री की फाइल गम करवा दी गयी। चंडीगढ़ सेक्टर -१७ पुलिस स्टेशन में मात्र रिपोर्ट दर्ज करा दी गयी। और माफिया ने जमींन हड़पने का खेल शुरू किया।
सारी कीमती मशीनरी चुपचाप उखाड़ कर बेच दी गयी। २००७ में एसीसी लिमिटेड ने १९२ करोड़ रुपए में मुंबई की ओडेसी कम्पनी को बेच दी। तब एक प्रभाशाली नेता के रिश्तेदार ने रजिस्ट्री की। रजिस्ट्री करने वाला तहसीलदार और
मामले में ग्रिफतार हुआ था। करीब छह सो करोड़ मूल्य का दस मिल लम्बा रोप एवं तीन सो करोड़ की मशीनरी चोरी से बेचीं गयी। रोप का प्रयोग गांव मल्लाह से सूरजपुर तक सीमेंट के लिए माइनिंग ,चूना एवं पत्थर लाने के लिए किया जाता था जिसमे चार -पांच ट्राली चलती थी।
फैक्टरी बंद होने पर कलेक्टर कालका ने बारह अगस्त २००४ के आदेश पर जमींन पर वन विभाग को कब्ज़ा लेने के आदेश दिए। लेकिन आज तक वन विभाग ने अपनी जमींन पर कब्ज़ा नहीं लिया। विस्सल ब्लोअर विजय बंसल ने बताया की उन्होंने एक अगस्त २०१८ उद्योग विभाग से पूछा तो उन्होंने बताया की फाइल गुम हो गई और
पुलिस में डी डी आर दर्ज करवा दी गयी है।
विजय बंसल ने पंचकूला के राजस्व अधिकारी से पूछा की महाराजा पटियाला द्वारा लीज पर दी गयी जमीन एसी सी कंपनी के नाम कैसे हुई तो जवाब मिला की पुराना रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
विजय बंसल ने २०१५ में भी मनोहर लाल को पत्र लिख मांग की थी की इस फैक्ट्री की १२२ एकड़ औद्योगिक जमींन को रिहायशी भूमि में नहीं बदला जाये क्योंकि इसे अवैध तरीके से बेचा गया है। यहाँ उद्योग लगाया जाये ताकि स्थानीय लोगो को रोजगार मिले। अब आगे की कहानी और भी चौकाने वाली है।
मनोहर लाल को सूचित किये जाने के बावजूद भी ओडेसी कंपनी ने दो साल पहले यह जमीन गुरुग्राम की डेवोक कंपनी को बेच दी और कालका तहसील में रजिस्ट्री हो गयी। अब डिप्टी चीफ मिनिस्टर दुष्यंत चौटाला के कहने पर इंडस्ट्री महकमे के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी आनंद मोहन ने फाइनेंस कमिश्नर राजेश खुल्लर को पत्र लिखा की जमीन ओडेसी कम्पनी की बजाय हरियाणा सरकार के नाम करवाने की कार्रवाई की जाये। उन्होंने पंचकूला के डिप्टी कमिश्नर को लिखा और डिप्टी कमिश्नर ने कालका के एसडीएम को लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। विजय बंसल ने मामले की हाई कोर्ट के जज के देखरेख में सी बीआई जाँच की मांग की है।