दिवाली और ठंड से पहले पंजाब से अच्छी खबर सामने आई है। अमृतसर की उपायुक्त साक्षी सावनी ने बताया कि इस साल पराली जलाने के मामलों में 80% की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल 378 मामलों की तुलना में इस वर्ष अब तक केवल 73 मामले सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि अमृतसर एक सब्जी उत्पादक क्षेत्र है, जहां कटाई जल्दी शुरू हो जाती है। अब तक लगभग 60% फसल की कटाई हो चुकी है।
प्रशासन किसानों को पराली न जलाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दे रहा है। इसके अलावा, किसानों की सहायता के लिए हेल्पडेस्क और कॉल सेंटर की व्यवस्था की गई है। मंडियों में भी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, ताकि किसान अपनी फसल की बुकिंग और शेड्यूलिंग कर सकें। इंटर-कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से संसाधनों के आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पर्यावरण अभियंता सुखदेव सिंह ने बताया कि 15 से 27 सितंबर के बीच पंजाब में 45 पराली जलाने के मामले सामने आए, जिनमें से 22 स्थानों पर आग लगने की पुष्टि हुई। इन सभी मामलों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगाई गई है, नुकसान की भरपाई की गई है और एफआईआर दर्ज की गई है।
पिछले साल इसी अवधि में 59 मामले सामने आए थे, लेकिन उस समय बारिश होने के कारण घटनाएं कम हुई थीं। इस साल मौसम शुष्क रहा है और कटाई भी तेजी से हुई है। इसके बावजूद पराली जलाने के मामले घटे हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है।
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पराली जलाना पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, विशेषकर सर्दियों में जब धुआं कोहरे के साथ मिलकर स्मॉग बनाता है। सरकार किसानों को टिकाऊ विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है।

