Real Love Story: दिल का क्या कहना, वह कब किस पर फिदा हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। कभी सच्चे प्यार का रूप ऐसी घटनाओं में सामने आता है, जो न सिर्फ दिल को छूती हैं, बल्कि समाज के नजरिए को भी चुनौती देती हैं। माया और छोटूराम की कहानी कुछ ऐसी ही है, जहां दिल की चाहत ने परिवार, समाज और रिश्तों की दीवारों को पार किया।
आठ दिसंबर को घर छोड़कर भागी माया
झालावाड़ जिले के चंदीपुरा की रहने वाली 18 साल की माया का दिल 30 साल के छोटूराम के लिए धड़क उठा। छोटूराम शेखावाटी के बास ढाकान का निवासी था और एक राजमिस्त्री का काम करता था। दोनों की मुलाकात सीकर में एक निर्माण कार्य के दौरान हुई थी, जहां माया अपनी मां के साथ काम करने जाती थी। छोटूराम को देख माया का दिल उसी वक्त धड़क उठा और वह उसकी ओर आकर्षित हो गई।
समय के साथ, दोनों के बीच जान-पहचान बढ़ी और प्यार का सिलसिला शुरू हुआ। माया जानती थी कि उनके रिश्ते को परिवार स्वीकार नहीं करेगा, इसलिए उसने अपने परिवार से दूर जाने का फैसला लिया।
गाजियाबाद में शादी और फिर एक नया सफर
8 दिसंबर को माया ने अपने परिवार को छोड़ दिया और प्रेमी छोटूराम के पास चली आई। फिर दोनों ने जयपुर होते हुए गाजियाबाद में आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली। इसके बाद मथुरा और वृंदावन की यात्रा पर निकल पड़े, लेकिन प्रेम की यह कहानी भी सामान्य प्रेम कहानियों की तरह मुसीबतों से बच नहीं सकी।
परिवार का विरोध और माया का साहस
माया की शादी की खबर सुनते ही उसके परिवार में कोहराम मच गया। उसके बड़े भाई ने धमकी दी कि अगर माया कहीं दिखाई दी, तो वह उसे और उसके पति को सजा देंगे। माया डर के बावजूद अपने प्रेमी छोटूराम का साथ नहीं छोड़ पाई और उसने पुलिस के पास जाकर अपनी कहानी बयां की।
माया और छोटूराम का मानना है कि यह सब किस्मत का खेल था और वह इसे पूरा करेंगे। इस साहसिक कदम ने यह साबित कर दिया कि प्यार अगर सच्चा हो, तो वह किसी भी दीवार को तोड़ सकता है, चाहे वह परिवार की हो, समाज की हो या फिर डर की।