चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल ने विधानसभा में दिए अपने आखिरी भाषण में शेर पढ़ते हुए कहा था कि ‘फिकर सभी को खा गई, फिकर जगत का तीर, जो फिकर को खा गया, उसका नाम फकीर।’ उन्होंने यह शेर अपने लिए पढ़ा था और यह उन पर बिल्कुल सटीक बैठता है। जी हां अब इस्तीफा देने के बाद मनोहर लाल को न सरकारी घर मिलेगा और न ही नौकर-चाकर मिलेंगे। सीएम रहते मनोहर लाल ने पूर्व सीएम को मिलने वाले कैबिनेट मंत्री के दर्जे को समाप्त किया था। हुड्डा सरकार में पूर्व सीएम को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था।
नहीं मिलेगा सरकारी घर और नौकर-चाकर
मनोहर लाल साढ़े नौ साल राज्य के सीएम की कुर्सी संभालने के बाद उन्हें न तो सरकारी बंगला मिलेगा और न नौकर-चाकर। दरअसल मनोहर लाल जब पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाले कैबिनेट मंत्री के दर्जे को समाप्त कर दिया था। इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री को सिर्फ पूर्व विधायक वाली सुविधाएं मिलती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में हुआ था। दो मई 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व सीएम को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला लिया था।
हुड्डा के फैसले को मनोहर लाल ने पलटा
इस फैसले के तहत पूर्व सीएम को लाल बत्ती, झंडे वाली सरकारी गाड़ी, राजधानी चंडीगढ़ में सरकारी कोठी, एक निजी सचिव, एक सहायक, एक ड्राइवर, चार पीएसओ और दो चपरासी मिलते थे। साल 2014 में हुड्डा जब सीएम की कुर्सी से हटे तो उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया। करीब दो साल तक उन्होंने इस सुविधाओं का लाभ भी उठाया। मगर अप्रैल 2016 में मनोहर लाल ने इस फैसले को पलट दिया। इसके पीछे मनोहर सरकार ने दलील दी थी कि पूर्व सीएम को इतनी सुविधाएं देने से राज्य के लोगों में नाराजगी है।
दो पूर्व सीएम को ही मिला था कैबिनेट मंत्री का दर्जा
गौरतलब है कि हरियाणा में अब तक सिर्फ दो पूर्व सीएम को ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला था। इनमें हुकुम सिंह और भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल हैं। ये सुविधाएं पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला को भी मिलनी थीं, मगर हुड्डा जब यह नियम लाए उस समय ओपी चौटाला जेबीटी घोटाले में जेल में सजा काट रहे थे। इसलिए वह इन सुविधाओं को नहीं भोग पाये। इसके बाद जब मनोहर लाल सीएम बने तो उन्होंने हुड्डा के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे पलट दिया। अब उन्हीं के द्वारा किये गए इसी फैसले की वजह से उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा और सभी सुख सुविधाओं से वंचित रहना पड़ेगा।
रोहतक के पैतृक घर को कर दिया था दान
सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद मनोहर लाल का ठिकाना फिलहाल चंडीगढ़ की कबीर कुटिया (सीएम हाउस) में ही है। मनोहर लाल के पास फिलहाल कोई घर नहीं है। इसी जनवरी में उन्होंने रोहतक के गांव बनियानी में बने पुश्तैनी घर को बच्चों के लिए ई-लाइब्रेरी बनाने को जिला प्रशासन को सौंप दिया था। यह पुश्तैनी घर उनके माता-पिता की निशानी थी।
2019 के विधानसभा चुनाव में दिए अपने हलफनामे में उन्होंने इस पैतृक घर को अपनी एकमात्र गैर-कृषि संपत्ति घोषित किया था। हलफनामे के अनुसार संपत्ति का अनुमानित क्षेत्रफल 1,350 वर्ग फुट है और निर्मित क्षेत्र 800 वर्ग फुट है। अक्तूबर 2019 में घर की कीमत करीब 3 लाख रुपये थी। इसके अलावा इसी गांव में उनके पास 12 कनाल कृषि भूमि है, जो उन्हें विरासत में मिली थी। 2019 में इसकी कीमत करीब 30 लाख रुपये थी।