Tuesday, December 3, 2024
Homeवायरल खबरपूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा बोले - किसानों को घाटे में धकेलना चाहती...

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा बोले – किसानों को घाटे में धकेलना चाहती है बीजेपी, इसलिए लगाई धान के निर्यात पर रोक

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा का कहना है कि बीजेपी तय नीति के तहत किसानों को घाटे में धकेल रही है। इसलिए उसने धान के निर्यात पर रोक लगाई है और बासमती पर भारी भरकम 20 प्रतिशत निर्यात ड्यूटी थोप दी है। इसके चलते ना किसानों को अंतरराष्ट्रीय मार्किट में ऊंचे दामों का लाभ मिल पा रहा है और ना ही व्यापारियों को। इसलिए सभी के हक में फैसला लेते हुए सरकार को धान के निर्यात पर रोक को तुरंत खत्म कर देना चाहिए और बासमती पर लगाए गए निर्यात शुल्क को भी हटा देना चाहिए।

किसानों, राइस मिलर्स और आढ़ियों के प्रतिनिधिमंडलों ने हुड्डा से मुलाकात कर अपनी मागों का ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान किसानों को इसीलिए धान के ऊंचे रेट मिलते थे क्योंकि उस समय निर्यात पर रोक नहीं होती थी। अंतरराष्ट्रीय मार्किट में ऊंचे दामों के चलते अक्सर स्थानीय बाजारों में भी धान की कीमत एमएसपी से भी ऊपर जाती थी और किसानों को खासी आमदनी होती थी। निर्यात के चलते किसानों, कारोबारियों को तो लाभ होता ही था, साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी इसका फायदा मिलता था।

लेकिन बीजेपी सरकार हर बार धान की आवक से पहले उसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा देती है। पिछले साल भी जुलाई 2023 में केंद्र सरकार ने पहले टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाया और उसके बाद परमल चावल के निर्यात पर रोक लगा दी। धान की आवक से ठीक पहले अगस्त माह में सरकार ने बासमती का न्यूनतम निर्यात मुल्य 950 डॉलर प्रति टन तय करके उसपर 20% निर्यात शुल्क थोप दिया। इसके चलते देश का धान गोदामों में धरा धराया रह गया। आज 1 साल बाद भी स्थिति यह है कि चावल के गोदाम भरे पड़े हैं। नया चावल रखने के लिए उनमें जगह ही नहीं है। राइस मिलर्स सरकार को चावल देने को तैयार हैं लेकिन सरकार के गोदामों में जगह ही नहीं है। 25 प्रतिशत बकाया चावल अभी भी मिलों में पड़ा हुआ है।

व्यापारियों का आरोप है कि सरकार फिजिकल वेरिफिकेशन के नाम पर भी उन्हें बेवजह परेशान कर रही है। मिलर्स को एक प्रतिशत ड्रायज के रूप में जो रियायत मिलती थी, उसे भी आधा कर दिया गया है। उसके कस्टम मिलिंग चार्ज को भी 15 से घटाकर 10 रुपये कर दिया गया है। बोरियों पर जो टैग लगते हैं, उसके पैसे भी व्यापारियों को नहीं मिलते। ऊपर से बीजेपी सरकार ने पोर्टल का ऐसा जंजाल बना रखा है कि उससे हर कोई परेशान है। जरूरत के वक्त हमेशा पोर्टल बंद हो जाता है।

नेता प्रतिपक्ष को आढ़ती और सैलर ने बताया कि सितम्बर के पहले सप्ताह से जो धान की मण्डियों में आवक शुरू हो जाएगी तो सरकार नई फसल को कहां रखेगी? इसके बारे में ना किसी तरह की तैयारी की गई है और ना ही खरीद के लिए कोई व्यवस्था बनाई गई है। हर बार सरकार के इस ढुलमुल रवैये के खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। बीजेपी की नीतियों के चलते कृषि से जुड़े कारोबारी और राइस मिलर्स भी लगातार घाटे में जा रहे हैं। इस पूरे मामले में हरियाणा की बीजेपी सरकार की चुप्पी भी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रही है। प्रदेश के किसानों व कारोबारियों को हर सीजन में होने वाले घाटे को बीजेपी मूकदर्शक बनी देखती रही है।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -

Most Popular