चंडीगढ़ : हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के एक डिविजनल ऑफिसर-कम-सब डिविजनल इंजीनियर पर अधिनियम के प्रावधानों के तहत 3 हजार रुपये का सांकेतिक जुर्माना तथा शिकायतकर्ता को 3 हजार रुपये का सांकेतिक मुआवजा देने के आदेश जारी किए हैं। यह कार्रवाई समय-सीमा में सेवा उपलब्ध न कराने और शिकायत के प्रभावी निवारण में लापरवाही बरतने पर की गई है।
हिसार निवासी शिकायतकर्ता ने आयोग को शिकायत में बताया कि वह और उनका परिवार न केवल इस वर्ष, बल्कि पिछले वर्ष की गर्मियों में भी जलापूर्ति के अभाव से गंभीर रूप से प्रभावित हुए। पिछले वर्ष आयोग के हस्तक्षेप से पाइपलाइन बदली गई थी, लेकिन इस वर्ष अप्रैल, मई और जून—इन तीन महीनों में व्यावहारिक रूप से पानी की आपूर्ति नहीं हुई, जिसके कारण उन्हें पीने का पानी बाजार से खरीदना पड़ा। शिकायतकर्ता ने कहा कि एक्सईएन और एसई द्वारा अपील का निपटारा गलत तरीके से और बिना सुनवाई का अवसर दिए किया गया। उन्होंने आयोग से निवेदन किया कि उनके घर में निर्धारित मानकों के अनुसार जलापूर्ति सुनिश्चित कराई जाए, क्योंकि पानी किसी भी व्यक्ति के लिए मूलभूत आवश्यकता है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया आयोग ने जांच में पाया गया कि संबंधित अधिकारी ने आरटीएस अधिनियम में निर्धारित समय-सीमा से बाहर सेवा पूरी दिखाई तथा शिकायत का निवारण किए बिना ही उत्तर प्रेषित किया। प्रवक्ता ने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व में विभाग के सभी संबंधित अधिकारियों को शिकायतों के प्रभावी निपटान हेतु प्रशिक्षण दिया गया था, इसके बावजूद अपीलों का निपटारा न सुनवाई के साथ किया गया और न ही आवश्यक कार्रवाई की गई।
इस मामले में आयोग ने आदेश दिया है कि उक्त राशि संबंधित अधिकारी के अगस्त 2025 के वेतन से काटकर सितंबर 2025 में राज्य कोष में जमा कराई जाए तथा मुआवजा शिकायतकर्ता को प्रदान किया जाए। इसके साथ ही, विभाग के एक्सिक्यूटिव इंजीनियर तथा सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर को भी सख्त चेतावनी जारी की गई है कि भविष्य में अपीलों का निपटारा अधिनियम के अनुरूप समयबद्ध तरीके से किया जाए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई जाती है, तो इस मामले को उस समय के मामले के साथ जोड़कर विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।