रोहतक। किसान फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करें और वे पराली की गांठे बनाकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं। यह बाते उपायुक्त अजय कुमार ने जिला के किसानों का आह्वïन करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को कृषि यंत्रों की सहायता से भूमि में मिलाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाये या स्ट्रॉ बेलर मशीन से पराली की गांठे बनाकर सरकार द्वारा दी जा रही एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का भी लाभ उठाये। प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए किसानों द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।
अजय कुमार स्थानीय लघु सचिवालय परिसर से फसल अवशेष प्रबंधन योजना के प्रचार-प्रसार के लिए 3 प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के उपरांत मौके पर उपस्थित किसानों से संवाद कर रहे थे। इन प्रचार वाहनों द्वारा जिला के प्रत्येक गांव में जाकर किसानों को फसल अवशेषों के उचित प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जायेगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य धान की फसल की कटाई के उपरांत बची हुई पराली का उचित प्रबंधन करना है। प्राय कुछ किसान बची हुई पराली में आग लगा देते है, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति को भारी नुकसान होता है तथा पर्यावरण प्रदूषित होने से सांस लेने में कठिनाई होती है। इन समस्याओं से निजात पाने व मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के दृष्टिïगत सरकार द्वारा यह योजना क्रियान्वित की जा रही है।
फसल अवशेष जलाने पर 15 हजार रुपये तक वसूला जाता है जुर्माना
उपायुक्त अजय कुमार ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा फसल के अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के मद्देनजर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गए है। इन निर्देशों के अनुसार फसल अवशेषों को आग लगाने वाले किसान से जुर्माने के रूप में 2500 रुपये से 15 हजार रुपये की राशि वसूल की जाती है। सरकार द्वारा रैड जॉन की श्रेणी में आने वाले जिला के गांव निंदाना व बैंसी में यदि पराली जलाने से संबंधित कोई शिकायत प्राप्त नहीं होती है तो ग्राम पंचायत को एक लाख रुपये की राशि दी जायेगी। इसी प्रकार यलो जॉन में शामिल गांव में पराली जलाने की कोई शिकायत प्राप्त न होने पर संबंधित गांव को 50 हजार रुपये की राशि प्रदान की जायेगी।
फसल अवशेष प्रबंधन के तहत किसानों को अनुदान पर दिये जाते है कृषि यंत्र
अजय कुमार ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन योजना सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना के तहत किसानों को कृषि यंत्र जैसे सुपर सीडर, जीरो टीलेज मशीन, स्ट्रॉ चोपर, हैप्पी सीडर, रीवर्सिबल प्लो आदि अनुदान पर प्रदान किये जाते है, जिनकी मदद से किसान पराली को मिट्टïी में मिलाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते है या पराली की गांठे बनाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है। कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने कहा कि वर्तमान वर्ष से फसल अवशेषों को मिट्टïी में मिलाने पर भी सरकार द्वारा एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए किसानों को विभाग के पोर्टल www.agriharyana.gov.in पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य है।