भारतीय किसान यूनियन उगराहां ने कैबिनेट मंत्री और आप प्रत्याशी गुरमीत सिंह मीत के घर का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया। पंजाब में बाजार समितियां और चारा मंडियां बंद की जा रही हैं और साइलो में फसलों की खुली खरीद का विरोध हो रहा है। सरकार के फैसले को किसान-मजदूर विरोधी फैसला बताया गया। पंजाब सरकार पर पिछली सरकारों की जनविरोधी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया।
किसानों का आरोप है कि दिल्ली में संघर्ष कर जिन तीन कृषि कानूनों को खारिज किया गया है। इनमें से दो कानून राज्य सरकार ने लागू कर दिए हैं, जिसके चलते सरकार के इस फैसले का विरोध करना पड़ रहा है। किसानों ने आम आदमी पार्टी सरकार को फैसला वापस लेने की चेतावनी भी दी है और फैसला वापस न लेने पर लोकसभा चुनाव में गांवों को घेरने का ऐलान किया है।
इस अवसर पर बोलते हुए, किसान नेता झंडा सिंह जेठुके ने कहा कि पंजाब में चुनाव की घोषणा से पहले, राज्य सरकार ने 26 बाजार समितियों को भंग करने का फैसला किया और उन्हें अन्य बाजार समितियों में विलय कर दिया। जिसके चलते गांवों के बड़े पैमाने पर चारा बाजार बंद हो गए हैं। इसके विपरीत, सरकार ने कॉरपोरेट साइलो बनाकर उन्हें खुली फसल खरीदने और बेचने की आजादी दे दी है।
उन्होंने कहा कि पंजाब के कृषि मंत्री इस फैसले को पिछली सरकारों का फैसला बता रहे हैं, जबकि हमारा सवाल है कि मौजूदा आम आदमी पार्टी सरकार क्या कर रही है। मौजूदा सरकार पिछली सरकार के फैसलों को रद्द क्यों नहीं कर रही? लेकिन सच तो ये है कि मौजूदा सरकार की नीतियां भी पिछली सरकारों जैसी ही हैं।