गरिमा टाइम्स न्यूज.रोहतक। दीपावली से पहले मिट्टी के दीये बनाने के लिए चाक ने गति पकड़ ली है। कुम्हारों का कहना है कि इस बार अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है। कुम्हारों की बस्ती में ज्यादातर परिवार मिट्टी के दीये, चक्की समेत अन्य सामान तैयार करने में जुटे हैं। वहीं दुकानदारों का कहना है कि पिछली बार प्रति दुकान 50 हजार दीये ही बिके थे, लेकिन अब की बार यह संख्या एक लाख का आंकडा छूने वाली है। पहले की तुलना में ग्राहक अब चाइनीज की तरफ कम देशी दीये ज्यादा ले रहे है।
दुकानदार ने बताया कि प्रति दुकानदार बात करें तो पांच हजार रुपये की मिट्टी, चार हजार रुपये का ईंधन व एक हजार रुपये का रंग इनको बनाने में लग जाता है। एरिया में सभी दीयों को आकार देने में जुटे हुए है तो कुछ जगह पर कच्चे दिये तैयार हो चुके है, जिनको आवे में पकाया भी जा रहा है। यहीं नहीं आवे से जब दियों को बाहर निकाला जाता है तो 20 से 30 प्रतिशत दिये बुरी तरह से जलकर खराब तक हो जाते है। उनका कहीं भी प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
शहर समेत गांव के दस हजार कुम्हार दीये बनाने में जुटे
अब की बार दीवाली पर अच्छी सेल को देखते हुए कुम्हारों का चाक काफी रफ्तार पकड़ चुका है। जिले में गांव समेत दस हजार से ज्यादा लोग इस काम को कर रहे है। यहीं नहीं दस लाख से ज्यादा दीये तो मार्केट में पहुंच चुके है। जो रोजाना बिक रहे है।
50 लाख से अधिक दीये दीवाली पर बिकने की उम्मीद
दुकानदार का कहना है कि अब की बार दीपावाली पर 50 लाख से ज्यादा दिये बिकने वाले है। जो कि बहादुरगढ़, भिवानी, सोनीपत, दिल्ली, समेत अन्य राज्यों में भी सप्लाई हो रहे है। वहीं थोक के भाव में 600 रुपये की 1000 दीये बिक रहे है। जबकि नार्मल लेने पर यह एक दिया एक रुपये का एक दिया जा रहा है।