नोमुरा द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक कारों की पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 30 तक, यह संख्या मौजूदा 2 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। यह परिवर्तन देश में संधारणीय और पर्यावरणीय रूप से अनुकूल गतिशीलता समाधानों की ओर बढ़ते बदलाव का हिस्सा है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में यात्री कारों में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की पहुंच लगभग 2 प्रतिशत पर स्थिर रही है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 27 तक ईवी की कारों की पहुंच 5 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है, जबकि वित्त वर्ष 30 तक यह 9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों (2W) की अपनाने की दर भी तेजी से बढ़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 25 में यह दर 5.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 27 तक 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भविष्य में कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता (CAFE) मानदंडों को पूरा करने और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए वाहन निर्माताओं के लिए ईवी सेगमेंट में सफलता प्राप्त करना जरूरी है। कंपनियां अब किफायती और उत्पादन के लिए तैयार ईवी मॉडल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
हाल ही में हुए भारत मोबिलिटी एक्सपो 2025 ने भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र के विकसित होते परिदृश्य को प्रदर्शित किया, जिसमें इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में बदलाव का संकेत दिया गया। प्रदर्शकों ने पर्यावरण के अनुकूल और तकनीकी रूप से उन्नत वाहनों के लिए अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया, जो भारतीय मोबिलिटी के हरित और अधिक कनेक्टेड भविष्य की नींव रख रहे हैं।