Sunday, May 19, 2024
Homeहरियाणारोहतकरोहतक में ठंड का प्रभाव , सिविल अस्पताल और PGI में निमोनिया...

रोहतक में ठंड का प्रभाव , सिविल अस्पताल और PGI में निमोनिया पीड़ित बच्चों की भरमार

- Advertisment -

रोहतक में ठंड के चलते बढ़ी बच्चों में निमोनिया की समस्या, सिविल अस्पताल में ओपीडी पहुंची 270 के पार तो पीजीआई में हर रोज पहुंच रहे औसतन 450 ठंड से प्रभावित बच्चे

- Advertisment -

रोहतक। रोहतक में बढ़ती ठंड में सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इस के कारण बच्चे निमोनिया, वायरल बुखार, सर्दी खांसी से प्रभावित हो रहे हैं। सिविल अस्पताल में सिर्फ बच्चों की ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) 270 के पार चली गई है। ऐसे मौसम में बच्चों को सबसे अधिक निमोनिया का खतरा बना रहता है।

दरअसल, मौसम में दिन में गर्मी है तो रात में ठंड पड़ रही है। नागरिक अस्पताल की ओपीडी में औसतन हजार मरीज स्वास्थ्य जांच कराने रोज आते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या मौसमी बीमारियों से पीड़ितों की है। यहीं हाल पीजीआईएमएस का भी है। पीजीआईएमएस में रोजाना करीब 450 से 500 बच्चों की ओपीडी की लग रही है, इनमें वायरल मरीजों की संख्या ज्यादा है।

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे और बुजुर्गाें की इम्यूनिटी कम होती है। इस मौसम में लोगों को खानपान के साथ कपड़े पहनने में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। एक सप्ताह से मरीजों की संख्या तो नहीं बढ़ी है लेकिन वायरल मरीजों की संख्या 170 पहुंच गई है। फिजीशियन डॉ. कुलप्रतिभा ने कहा कि इस मौसम में वायरल बुखार का खतरा बढ़ गया है। इसमें मरीज को पहले बुखार होता है, फिर खांसी और सांस की परेशानी होने लगती है। फेफड़ों की नली में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। बदलते मौसम में बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है। इस मौसम में वायरल इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। बच्चों में वायरल फीवर, निमोनिया, सर्दी, खांसी, जुकाम आदि की शिकायत होती है।

पीडियाट्रिशियन डॉ. शर्मा का कहना है कि इस मौसम में बच्चों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। पिछले कुछ दिनों से हमें बच्चों में निमोनिया के कई केस देखने को मिले हैं। छोटे बच्चों की मौत की प्रमुख वजह निमोनिया होती है। सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है। बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए। उन्हें पूरे कपड़े पहना कर रखें। कान ढककर रखें, सर्दी से बचाएं। पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है।

उन्होंने कहा कि बच्चों का टीकाकरण करवाने से निमोनिया के होने वाले खतरों से बहुत हद तक बचा जा सकता है, ऐसे में जरूरी है कि बच्चों का समय से टीकाकरण कराएं। निमोनिया का टीकाकरण बच्चे को सबसे पहले डेढ़ महीने, ढाई महीने, साढ़े तीन महीने और फिर 15 महीने की उम्र में लगाया जाता है। इसके अलावा निमोनिया से बचने के लिए सभी को साबुन या हैंडवॉश से नियमित तौर पर हाथ साफ करते रहने चाहिए। निमोनिया संक्रमित लोगों के ड्रॉपलेट से भी फैलता है इसलिए निमोनिया पीड़ितों से बच्चों को दूर रखे।

नागरिक अस्पताल एसएमओ डॉ. पुष्पेंद्र ने कहा कि इन दिनों ज्यादातर मरीज सर्दी, जुकाम, खांसी के आ रहे हैं। निमोनिया के मरीजों के लिए भाप लेने के उपकरण हैं। रोग से बचाव संबंधित सभी दवाइयां अस्पताल में मौजूद हैं। ठंड से बचने के लिए मरीज घरेलू नुस्खे से बचाव किया जा सकता है, जैसे काढ़ा पीएं, ठंडी चीजों से परहेज आदि। इसके बाद भी अगर कफ, सर्दी-खांसी है तो चिकित्सक की परामर्श लें।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -
- Advertisment -

Most Popular