Monday, May 13, 2024
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PGIMS रोहतक के डॉक्टर बने भगवान, 10 घंटे ऑपरेशन कर मौत के मुंह से मरीज को निकाला

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PGIMS रोहतक के डॉक्टरों ने किया चमत्कार, ट्रेन दुर्घटना का शिकार हुए मरीज की फटी थी छाती, दिल निकला था बाहर, टूटी हुई थी पसलियां, 10 घंटे ऑपरेशन के बाद दिया जीवनदान

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रोहतक। PGIMS रोहतक के चिकित्सकों ने एक बार फिर से मौत के मुंह में जा चुके मरीज को नया जीवनदान देकर दिखा दिया कि क्यों समाज में चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है। एक अज्ञात व्यक्ति पानीपत में एक गंभीर ट्रेन दुर्घटना का शिकार हो गया था, जिसे पुलिस काफी गंभीर हालत में लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंची। उसकी छाती सीधी फटी हुई थी, बायीं तरफ की पसलियां पूरी तरह से टूटी हुई थीं और उसका फेफड़ा और दिल एक बड़े गैप से बाहर निकला हुआ था। आघात छाती और पेट के ऊपर की त्वचा के खराब होने तक बढ़ गया, साथ ही मस्तिष्क में हेमेटोमा भी हो गया। मरीज के बचने के चांस ही नहीं थे फिर भी पीजीआई के डॉक्टरों ने एक टीम बनाई और व्यक्ति का 10 घंटे ऑपरेशन कर मौत के मुंह से खींच लाये।

चिकित्सकों की टीम ने ऐसे दिया जीवनदान

पीजीआई निदेशक एवं कार्डियक सर्जन डाॅ. एसएस लोहचब ने बताया कि पीजीआईएमएस में मरीज को नया जीवनदान देने का काम कार्डियक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने कार्डियक एनेस्थीसिया और हड्डी रोग विभाग की टीम के साथ मिलकर किया है। उन्होंने बताया कि जिस समय मरीज को लाया गया उसकी हालत इतनी खराब थी कि बचने के चांस ही नहीं थे। फिर भी चिकित्सकों की टीम ने मरीज का इलाज करने फैसला किया और मरीज के बचने की संभावना न के बराबर देखते हुए भी तुरंत उसे कार्डियक सर्जरी विभाग रेफर किया। यहां कार्डियक सर्जन ने अपने साथ कार्डियक एनेस्थीसिया से डाॅ. गीता, ऑर्थो सर्जन डॉ. राज सिंह, प्लास्टिक सर्जन डॉ. अभिषेक को टीम में शामिल कर मरीज का ऑपरेशन शुरू किया।

10 घंटे चला ऑपरेशन

निदेशक ने बताया कि मरीज की हालत ज्यादा खराब थी। ऐसे में ज्यादा सटीकता के साथ ऑपरेशन किया गया। ऐसा नहीं होने पर मरीज की जान जा सकती थी। ऑपरेशन करीब 10 घंटे चला। पूरी टीम हाई अलर्ट पर रही। ऑपरेशन में व्यापक चोटों के कारण टाइटेनियम की कृत्रिम पसलियों का उपयोग कर बाईं ओर की पसली के पुनर्निर्माण की आवश्यकता पड़ी। मरीज का ऑपरेशन सफल रहा। यह उपलब्धि सरकार व स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डाॅ. अनीता सक्सेना की ओर से अस्पताल में उपलब्ध कराए गए संसाधनों से संभव हुई।

अपनी तरह का पीजीआईएमएस में पहला केस

अब मरीज की हालत में सुधार बताया गया है। उसे नया जीवनदान देकर दिखा दिया कि क्यों समाज में चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है। निदेशक ने बताया कि प्रारंभ में बेहोश अवस्था में होने के चलते मरीज अज्ञात था। उसे सोमवार रात को होश आया तो उसने अपना नाम और पता बताया। इससे कार्डियक सर्जरी आईसीयू में मेडिकल स्टाफ में खुशी की लहर दौड़ गई। मरीज के परिजनों को सूचित किया गया। रोगी गंभीर हालत से बाहर आ गया है। संक्रमण की रोकथाम और घावों के शीघ्र उपचार के लिए निरंतर देखभाल की जा रही है। यह अपनी तरह का पीजीआईएमएस में पहला केस था। कुलपति ने अटूट समर्पण के साथ कार्य करने वाली टीम को सराहा।

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