pahalgam terrorist attack: मंगलवार को हुए पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस हमले में बेकसूर 26 लोगों की हत्या से हर भारतवासी के दिल में बदले की आग धधक रही है. सुरक्षा एजेंसियां तेजी से अपनी जांच में जुटी हुई है. पहलगाम आतंकी हमले का सीधा कनेक्शन पाकिस्तान से था. जिसका खुलासा डिजिटल फुटप्रिंट (Digital Footprint) टेक्नोलॉजी के माध्यम से हुआ है. इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से ये पता लगाया जा रहा है कि आतंकवादी पाकिस्तान के किन-किन ठिकानों से जुड़े हुए थे.
pahalgam terrorist attack: आइए जानते हैं क्या होता है डिजिटल फुटप्रिंट
गूगल पर कुछ सर्च करना, फेसबुक पर कोई पोस्ट डालना, वेबसाइट्स खोलना या ऐप इस्तेमाल करना पर एक डिजिटल रिकॉर्ड बनता है जिसे डिजिटल फुटप्रिंट (Digital Footprint) कहा जाता है. इन निशानों के माध्यम से ये जानकारी सामने आती है कि आपने क्या देखा, कब देखा, कहां क्लिक किया और किससे बात की है. इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सुरक्षा एजेंसियां आतंकवादियों की ऑनलाइन एक्टिविटी से कर रही है.
दो तरह के होते हैं डिजिटल फुटप्रिंट
डिजिटल फुटप्रिंट दो तरह के होते हैं. पहला वो जिसे हम जानबूझकर इंटरनेट पर छोड़ते हैं, जैसे कि किसी पोस्ट या कमेंट का करना, और दूसरा वो जो बिना हमारी जानकारी के हमारे हर ऑनलाइन गतिविधि से जुड़ा होता है.
जरुरी क्यों डिजिटल फुटप्रिंट की जानकारी
आज के दौर में लड़ाई गोली-बंदूकों के साथ-साथ डिजिटल माध्यम से भी लड़ी जाती है. डिजिटल फुटप्रिंट एक तरह से ऑनलाइन दुनिया में छिपे हुए सबूतों की तरह होते हैं. इन्हें पकड़ना मुश्किल हो सकता है, लेकिन एक बार हाथ लग जाएं तो बड़ी-बड़ी साजिशों की परतें खुल जाती हैं. इसलिए पहलगाम आतंकी हमले में सुरक्षा एजेंसियां उस तह तक जा रही है जिसे आतंकवादी अपने पीछे छोड़ गए हैं.
पाकिस्तान का सीधा कनेक्शन
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जब सुरक्षा एजेंसियों ने घटनास्थल से बरामद डिवाइस और कम्यूनिकेशन डिवाइसेज की जांच शुरू की, तो उनमें कुछ ऐसे संकेत मिले जो भारत की सीमा पार पाकिस्तान तक पहुंचते थे. इस जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन टूल्स का इस्तेमाल किया था. कुछ ऐसे ऐप और तकनीकें जिनसे बातचीत ट्रैक करना मुश्किल होता है. लेकिन भारत की खुफिया एजेंसियों ने डिजिटल फुटप्रिंट की सहायता से ये पकड़ लिया कि इन आतंकियों की बातचीत मुजफ्फराबाद और कराची जैसे पाकिस्तानी इलाकों में मौजूद कुछ खास ठिकानों से हो रही थी.