चंडीगढ़। प्रॉपर्टी आईडी सर्वे घोटाले की CBI जांच की मांग आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने उठाई है। उन्होंने खट्टर सरकार द्वारा हरियाणा के सभी 88 शहरों में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे को बड़ा घोटाला बताया है। उन्होंने इस मामले में शहरी निकाय मंत्री कमल गुप्ता, शहरी निकाय विभाग के तत्कालीन निदेशक सहित 88 अधिकारियों के खिलाफ़ लोकायुक्त कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई है। इन अधिकारियों में 12 आईएएस भी शामिल हैं।
शिकायत में घोटाले की जांच सीबीआई से करवा कर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने, सर्वे करने वाली याशी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने व भुगतान की गई 60 करोड़ की पेमेंट ब्याज़ सहित वसूल करने की मांग की है। लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा को आरटीआई दस्तावेज़ों व शपथ पत्र सहित दी शिकायत में पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अंतर्गत सभी 88 शहरों में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में बड़ा घोटाला प्रदेश सरकार के संरक्षण में किया गया है।
इस सर्वे में 95 पर्सेंट तक गलतियां होने के बावजूद कॉन्ट्रैक्टर फर्म याशी कम्पनी को 60 करोड़ की पेमेंट फर्जी वेरिफिकेशन के आधार पर कर दी। सभी कुल 42.50 लाख संपत्तियों के मालिक इन त्रुटियों को ठीक कराने के लिए दलालों के हाथों लुट रहे हैं और धक्के खा रहे हैं। वर्क ऑर्डर की शर्त संख्या 37.6.7 के अंतर्गत याशी कम्पनी द्वारा किए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की सभी नगर निगमों के आयुक्तों, नगर परिषदों के ईओ व सभी नगर पालिकाओं के सचिवों ने सर्वे कार्य के सही, गलत होने की मौका वेरीफिकेशन करनी थी।
सर्वे कार्य की मौका वेरिफिकेशन सही पाए जाने पर ही ये साईन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करने तभी पेमेंट होनी थी। लेकिन सभी 88 शहरों के अधिकारियों ने आँख मूँद कर फर्जी वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताते हुए साईन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करके याशी कम्पनी को करीब 60 करोड़ की पेमेंट करवा दी। सरकार के संरक्षण के बगैर ये फर्जीवाड़ा असम्भव है।
पीपी कपूर ने शिकायत में बताया कि घोटाला सरकार के संज्ञान मे होने के बावजूद सरकार ने ना तो फर्जी साईन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करने वाले अधिकारियों पर कोई कारवाई की और न ही कम्पनी की पेमेंट रोकी, न जुर्माना लगाया, न ही कम्पनी को ब्लैक लिस्ट किया। शहरी निकाय मंत्री कमल गुप्ता खुले आम कम्पनी के समर्थन में ब्यान दे रहे हैं कि अधिकारियों की गलत वेरिफिकेशन रिपोर्ट के कारण कम्पनी को पेमेंट हुई। फिर भी कारवाई किसी पर नहीं की।
वर्क ऑर्डर में पेनल्टी नियम के बिंदु संख्या 5 के अनुसार 20 पर्सेंट से ज्यादा त्रुटियां होने पर ठेका रद्द करना था, कम्पनी की परफॉर्मेंस बैंक गारन्टी जब्त करनी थी। लेकिन 95 पर्सेंट सर्वे कार्य गलत होने के बावजूद सरकार ने किया कुछ नहीं। घपले को दबाने के लिए सर्वे का ऑडिट भी नहीं करवाया।
निदेशक के नेतृत्व में गठित मॉनीटरिंग कमेटी व स्टीयरिंग कमेटी भी निष्क्रिय रहीं। वर्क ऑर्डर की शर्तों के अंतर्गत प्रॉपर्टी आईडी सर्वे कार्य के प्रथम चरण का जो कार्य 12 दिसंबर 2019 तक पूरा होना था वह 10 बार एक्सटेंशन देने के बावजूद भी अधूरा व गलत मिला। क्या प्रॉपर्टी आईडी सर्वे जैसे मामूली कार्य के लिए प्रदेश सरकार को हरियाणा से एक भी ठेकेदार नहीं मिला जो ये ठेका जयपुर (राजस्थान) की कम्पनी को दिया गया।
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