दिल्ली: बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। अब दिल्ली की सड़कों पर वाहन चालकों के लिए अधिकतम स्पीड सीमा 50 किमी प्रति घंटा निर्धारित की जाएगी। ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि तेज रफ्तार वाहनों के कारण होने वाले हादसों को इस नए नियम से काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
तीन इलाकों पर रखी जाएगी नजर
ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि दिल्ली में तीन एरिया ऐसे हैं जहां पर तेज स्पीड में गाड़ी दौड़ती नजर आती हैं। जिसकी वजह से वहां पर एक्सीडेंट भी ज्यादा देखने को मिलते हैं। इनमें नरेला और अलीपुर जैसे बाहरी इलाके भी शामिल हैं। इन हादसों को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस सर्कुलर जारी कर रही है जिसमें गाड़ियों की स्पीड लिमिट 50 किलोमीटर प्रतिघंटा करने का फैसला किया है।
ट्रैफिक पुलिस सर्दियों में बढ़ने वाले हादसों पर विशेष ध्यान दे रही है। दिसंबर और जनवरी में रिंग रोड और बाहरी रिंग रोड और बाकी खुले इलाकों में धुंध के वजह से विजिबिलिटी कम हो जाती है। ऐसे में तेज रफ्तार गाड़ियों पर नियंत्रण रखने के लिए हाई लेवल लेजर स्पीड गन का इस्तेमाल किया जाएगा।
ट्रैफिक अधिकारियों के अनुसार, यह गन तेज रफ्तार वाहनों का पता लगाने में सक्षम है। सर्कुलर में सभी ट्रैफिक उपायुक्त, टीआई को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने तौर पर उन स्पॉट की जानकारी लें, जहां पर रोड हादसे और वाहनों की रफ्तार काफी ज्यादा होती है। इसके अलावा सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली में अब वाहनों की रफ्तार 50 करने पर भी विचार किया जा रहा है और लेजर गन के इस्तेमाल से सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में सफलता मिलने की उम्मीद है।
कैसे काम करती है लेजर स्पीड गन?
लेजर स्पीड गन अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और ये दिन हो या रात, एक किमी दूर से भी तय सीमा से ज्यादा रफ्तार वाले वाहनों की गति को पकड़ने में सक्षम है। ये गन तेज रफ्तार वाहन का वीडियो और फोटो रिकॉर्ड करने में मदद करती है। साथ ही, दुर्घटना स्थल की तस्वीरें और डेटा संग्रह करती है।
किसी भी मौसम में ये अपने टारगेट को सटीकता से पहचान सकती है। ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि तकनीक ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नजर रखने और हादसों को रोकने में कारगर साबित होगी।