हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने विवाह पंजीकरण में अनावश्यक देरी के कारण चरखी दादरी निवासी शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपए का मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि शिकायतकर्ता द्वारा विवाह पंजीकरण के लिए 17 दिसंबर 2024 को आवेदन किया गया था, जिसे 18 दिसंबर 2024 को स्वीकृति के लिए चिह्नित किया गया। लेकिन प्रमाण पत्र 10 मार्च 2025 को जारी किया गया, जो स्पष्ट करता है कि आवेदन न तो अस्वीकृत किया गया और न ही लौटाया गया, बल्कि बिना किसी उचित कारण के लंबी अवधि तक लंबित रखा गया। तहसीलदार द्वारा देरी का कारण फोटो में त्रुटि बताया गया, किंतु अंतिम प्रमाण पत्र में भी वही फोटो मौजूद है, जिससे यह तर्क असंगत सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त, अधिकारी ने ऑनलाइन प्रणाली से अपरिचित होने का हवाला दिया, जिसे आयोग ने अस्वीकार्य माना।
आयोग ने पाया कि नामित अधिकारी की लापरवाही से शिकायतकर्ता को अनावश्यक परेशानी उठानी पड़ी। अतः आयोग ने हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह) के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए 5 हजार रुपए का मुआवजा शिकायतकर्ता को प्रदान करने का आदेश दिया है।
उपायुक्त, चरखी दादरी को निर्देश दिए गए हैं कि वे तहसीलदार एवं नामित अधिकारी के जुलाई 2025 के वेतन से 5 हजार रुपए की कटौती कर अगस्त 2025 में शिकायतकर्ता को मुआवजा राशि का भुगतान सुनिश्चित करें तथा चालान इत्यादि की प्रति के साथ आयोग को ईमेल पर अनुपालन रिपोर्ट भेजें।