Tuesday, January 7, 2025
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death of kinnar : आखिर क्यों किन्नरों का रात में होता है अंतिम संस्कार, मरने के बाद करते हैं जूतों से पिटाई? होश उड़ा देगी वजह!

death of kinnar : किन्नरों की दुनिया हमेशा से रहस्यमय और लोगों की जिज्ञासा का केंद्र रही है। ये समुदाय, जिसे थर्ड जेंडर के रूप में पहचाना जाता है, समाज में एक खास स्थान रखता है। किन्नरों की दुआओं को बेहद शक्तिशाली माना जाता है, लेकिन उनकी मृत्यु और अंतिम संस्कार से जुड़ी परंपराएं उतनी ही गोपनीय और चौंकाने वाली हैं। आइए जानते हैं इनसे जुड़े कुछ अनसुने तथ्य।

death of kinnar रात में क्यों होता है अंतिम संस्कार?

किन्नरों के अंतिम संस्कार को बेहद गोपनीय रखा जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी गैर-किन्नर की नजर उनकी अंतिम यात्रा पर न पड़े। इसलिए, शव यात्रा अक्सर रात के समय निकाली जाती है।

मान्यता है कि यदि किसी आम व्यक्ति ने किन्नर के अंतिम संस्कार को देख लिया, तो मरने वाले का अगला जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा। यही कारण है कि इस प्रक्रिया को बेहद सतर्कता से निभाया जाता है।

शव को खड़ा करके ले जाने की परंपरा

किन्नरों की अंतिम यात्रा में शव को खड़ा करके ले जाया जाता है। उन्हें सफेद कपड़े में लपेटा जाता है, जो इस बात का प्रतीक है कि मृतक का अब इस शरीर और दुनिया से कोई नाता नहीं रहा। शव के मुंह में पवित्र नदी का पानी डालने की भी परंपरा है। इसके बाद, उन्हें दफनाया जाता है।

इसके अलावा, यदि किसी बाहरी व्यक्ति ने शव को देख लिया, तो किन्नर समुदाय उसे दंडित भी कर सकता है।

death of kinnar जूते-चप्पलों से पिटाई और गालियां क्यों दी जाती हैं?

किन्नरों की सबसे अनोखी परंपरा यह है कि मृतक के शव को अंतिम यात्रा से पहले जूते-चप्पलों से पीटा जाता है।

इसकी वजह है:

  1. प्रायश्चित का विश्वास: यह माना जाता है कि मृतक ने जीवन में जो भी अपराध किए हों, उनका प्रायश्चित इस प्रक्रिया से हो जाता है।
  2. अगले जन्म की प्रार्थना: किन्नर समुदाय यह दुआ करता है कि मृतक का अगला जन्म स्त्री या पुरुष के रूप में हो, न कि किन्नर के रूप में।

इस दौरान गालियां देने का भी रिवाज है, जो प्रतीकात्मक रूप से मृतक की आत्मा को उसके किए गए पापों से मुक्त करने का प्रयास है।

मृत्यु का पूर्वाभास और धार्मिक आस्था

किन्नरों का मानना है कि मृत्यु से ठीक पहले उन्हें इसका अहसास हो जाता है। ऐसे समय में वे खाना-पीना त्याग देते हैं और ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाते हैं। समुदाय के लोग एक सप्ताह तक व्रत करते हैं और मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

किन्नरों की परंपराएं

किन्नरों की अंतिम संस्कार से जुड़ी परंपराएं उनके समुदाय की गहरी मान्यताओं और विश्वासों को दर्शाती हैं। ये प्रथाएं न केवल समाज की विविधता का प्रतीक हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि कैसे यह समुदाय अपनी परंपराओं और आस्थाओं के प्रति समर्पित रहता है।

“किन्नरों के अंतिम संस्कार से जुड़े अनोखे और रहस्यमयी तथ्य। जानें क्यों उनकी शव यात्रा रात में होती है, शव को जूते-चप्पलों से क्यों मारा जाता है, और इन परंपराओं का समाज में क्या महत्व है।”

 

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