Wednesday, May 1, 2024
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रिश्ते को नरक से बदतर बना देता है खतरनाक ट्राॅमा बॉन्ड, ऐसे निकले इस घुटन से

नई दिल्ली। कुछ रिश्ते शुरुआत में तो ठीक चलते हैं। एक समय के बाद ये एक दूसरे पर बोझ बन जाते हैं। ऐसे रिश्ते से घुटन महसूस होने लगती है। इसके बावजूद उससे निकलना या रिश्ता तोड़ना आसान नहीं होता। एक तरफ मन सब खत्म करने को करता है तो दूसरी तरफ इमोशन है जो ऐसा करने से रोकता है। परिणाम टॉर्चर और ट्रॉमा बॉन्ड।

ट्रॉमा और बॉन्डिंग

क्या है यह ट्राॅमा बॉन्ड। इससे निकलने के लिए क्या करना चाहिए इस बारे में साइकोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर बताएंगी। डॉ. ज्योति कपूर कहती है कि ट्रॉमा बॉन्डिंग दो शब्दों से मिलकर बना है। ट्रॉमा और बॉन्डिंग। ये एक तरह का डिसफंक्शनल अटैचमेंट है। जो शोषण करने वाले और विक्टिम के बीच होता है। इसमें सामने वाले को पता होता है कि उसके साथ रिश्ते का फायदा उठाकर गलत हो रहा है, फिर भी वो उसी रिलेशनशिप में एडजस्ट करने की कोशिश करता है।

सर्वाइव करने में मदद

ऐसा करने के लिए वो शोषण करने वाले की ही पॉजिटिव छवि अपने दिमाग में बनाने लगता है। ताकि उस सिचुएशन में विक्टिम को सर्वाइव करने में मदद मिले। वो एक तरह से शोषण करने वाले पर निर्भर होता जाता है। सरल शब्दों में कहें तो ट्रॉमा के बावजूद वे अपनी बॉन्ड उससे तोड़ नहीं पाते। यह जरूरी नहीं कि सिर्फ रिलेशनशिप में ही हो, ये किसी भी रिश्ते में हो सकता है। आमतौर पर पार्टनर के साथ यह ज्यादा होता है। कई बार दो भाई, बहन, मां-बेटा, पिता-बेटा किसी के बीच भी ऐसी समस्याएं हो सकती हैं। ऑफिस में काम करने वाले लोगों के साथ भी हो सकता है। इसके अलावा ये उन लोगों के बीच भी हो सकता है, जिनका आपस में कोई रिलेशन नहीं होता।

ट्रॉमा बॉन्डिंग के शिकार

शोषण करने वाला व्यक्ति ज्यादातर नार्सिसिस्टिक पर्सनालिटी का होता है। या फिर पहले से उसे किसी तरह का ट्रॉमा होता है। ऐसे में वो विक्टिम को 3 तरह से नुकसान पहुंचा सकता है, इमोशनली, फिजिकली या फिर सेक्शुअली। ट्रॉमा बॉन्ड की सिचुएशन रोमांटिक, पारिवारिक या ऑफिशियल भी हो सकती है। कुछ समय के बाद जब रिश्तों में साइकोलॉजिकल लक्षण दिखने लगते हैं तो विक्टिम को एहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। ऐसे में विक्टिम उस सिचुएशन से बाहर निकलना चाहता है। या कई बार दूसरे लोग इसे पहचानते हैं तो शोषण करने वाले और विक्टिम के रिलेशनशिप को देख रहे होते हैं उन्हें पता चलता है। जब इस बात का एहसास होता है कि आप ट्रॉमा बॉन्डिंग के शिकार हैं तब इस तरह के रिश्ते से निकलना इलाज का हिस्सा होता है।

शरीर पर पड़ता है असर

इससे नर्वस सिस्टम में बदलाव आता है। हार्मोनल चेंज आते हैं। आप फैमिली मेंबर या फिर अपने पार्टनर के आस-पास नहीं होने पर उनकी जरूरत से ज्यादा याद आना, उन पर निर्भर हो जाना या फिर जरूरत से ज्यादा लगाव किसी भी रिलेशन यानी रिश्ते के लिए डेंजरस है। ये आपको बाकी लोगों से रिश्ता बनाने से रोकता है। ट्रॉमा बॉन्ड में फंसे लोग समस्या की सीरियसनेस को समझने और इसके खिलाफ आवाज उठाने के बजाय अपने पार्टनर के गलत बिहेवियर की अनदेखा करते हैं और उनके लिए बहाने बनाते हैं। जिससे गलत बिहेव करने वाले को बढ़ावा मिलता है।

आत्म-सम्मान का कम होना

विक्टिम ट्रॉमा बॉन्ड के दौरान आत्म सम्मान खो बैठते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि वे दुर्व्यवहार के लायक हैं उन्हीं की गलती है। कम आत्मसम्मान लोगों को उन रिश्तों में फंसाए रखता है जहां उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता। ट्रॉमा बॉन्ड से निकलने पर बदला लेने का डर बना रहता है। उन्हें लगता है कि अगर वह इसके खिलाफ आवाज उठाएंगें तो वह उनसे इसका बदला लेंगे। जो उनके और उनसे जुड़े लोगों की प्रॉब्लम बढ़ा सकता है। मिसबिहेवियर के खिलाफ आवाज उठाने पर पार्टनर आपसे वादा करता है कि वह अपने बिहेव में बदलाव लाएगा। बार-बार वही चीजें होती रहती है विक्टिम पॉजिटिव चेंज आने के लिए बार-बार मौका देता रहता है।

शोषण में भी समझते हैं भलाई

विक्टिम ये सोचता है कि शोषण करने वाला अपना रवैया बदलेगा। उसमें जल्द ही अच्छे सुधार होंगे। वो बदल जाएगा और उसे नुकसान नहीं पहुंचाएगा। साथ ही विक्टिम ये भी मानने लगता है कि शोषण करने वाला जो कर रहा है वो उसके भले के लिए कर रहा है। अगर इससे पीछा छुड़ाना है तो अपने रिलेशन को खुद पर हावी न होने दें। अपने विश्वास पात्र लोगों, दोस्तों, फैमिली मेंबर को अपनी सिचुएशन पर डिस्कस करें। इसके अलावा बाकी तरीकों को नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं।

खुद की अहमियत को समझें

आप कभी यह न सोचे कि आपका पार्टनर अगर आपको सॉरी कह रहा है तो वह बदल जाएगा और आपके साथ अच्छा व्यवहार करने लगेगा। इस बात को स्वीकार करने की कोशिश करें कि आपके साथ वर्तमान में क्या हो रहा है। वर्तमान स्थिति पर विचार करें और फिर कोई फैसला करें। सामने वाला आपको बुरा-भला बोले, नीचा दिखाए। उससे आप अपनी अहमियत को न भूलें। आप क्या हैं, इस पर ध्यान दें। अपनी स्किल्स को बढ़ाने पर जोर दें। फ्यूचर के बारे में सोचें। जिससे पास्ट और जबरदस्ती की रिलेशनशिप से आप खुद को दूर रख सकें।

बदतमीजी और बुरा व्यवहार न सहें

अगर आपका पार्टनर आपको गाली देता और मारपीट करता है या जरूरत पड़ने पर आपकी मदद नहीं करता। फिर भी आप उनसे प्यार करते हैं तो सावधान हो जाएं और ऐसे रिश्ते से तुरंत बाहर निकल जाएं। खुद को दर्द देते रहने से ये सब कभी खत्म नहीं होगा। अपने के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा। ये खुद से अच्छा कोई नहीं जानता है। अपने लिए स्टेप लेना सीखिए। खुद से बातचीत करके सवालों का जवाब निकालें और आगे आपको क्या करना है ये तय करें। आप खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं या जिन बातों को आप भूलना चाहते हैं उन्हें भूल नहीं पा रहे हैं, तो उन घावों को ठीक करना आपके लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए थेरेपी लीजिए।

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