भूख हड़ताल पर बैठे पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने रविवार को कई धार्मिक नेताओं को पत्र लिखकर उनसे अपील की कि वे केंद्र सरकार पर किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव डालें, जिसमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी बनाना भी शामिल है।
इस बीच, किसान नेताओं ने कहा कि दल्लेवाल की हालत बिगड़ रही है, जिनका आमरण अनशन रविवार को 48वें दिन में प्रवेश कर गया। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक दल्लेवाल पिछले साल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर भूख हड़ताल पर हैं।
दल्लेवाल, जो भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर) के प्रमुख भी हैं, ने अब तक कोई भी चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है। यहां मीडिया को संबोधित करते हुए किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दल्लेवाल द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र कई धार्मिक नेताओं को भेजा है। जिन लोगों को पत्र लिखा गया है उनमें अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद शबनम बुखारी और ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अतिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शामिल हैं।
पत्र में कहा गया है कि किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले 11 महीनों से खनौरी और शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। इसमें कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में शुभकरण सिंह नामक किसान की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
पत्र में यह भी कहा गया है कि हाल ही में एक संसदीय पैनल ने एमएसपी की समीक्षा की थी। इसने कृषि उपज की बिक्री के लिए कानूनी गारंटी की सिफारिश की है और कहा है कि इससे ‘किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश को बहुत लाभ होगा।’
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किसानों ने कहा कि एम.एस.पी. गारंटी कानून से किसानों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होगा। किसानों ने कहा, “पिछले 48 दिनों में प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के जजों को पत्र लिखे गए, लेकिन किसी ने हमारे पत्र पर ध्यान नहीं दिया और न ही इसका जवाब दिया।”
उन्होंने कहा, ‘‘इतिहास गवाह है कि जब भी कोई सरकार सही रास्ते से भटकी है, संतों और धार्मिक नेताओं ने सरकार को सही रास्ते पर लाने का काम किया है।’’ हम आपसे अनुरोध करते हैं कि वर्तमान सरकार से किसानों से किए गए वादों को पूरा करने के लिए कहें ताकि उन्हें उनके अधिकार मिल सकें और किसानों की आत्महत्याएं रोकी जा सकें।
इस बीच, कोहाड़ ने कहा कि हरियाणा के हिसार से किसानों का एक समूह दल्लेवाल के समर्थन में खनौरी विरोध स्थल पर आया। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।