Dalit groom banned temple: 14 अप्रैल को देशभर में डॉ भीमराव आबेंडकर की जंयती पर कार्यक्रम और श्रद्धालंजलि की सभायें आयोजित की गई. लेकिन इस दिन बाबा आबेंडकर जन्म स्थली मध्य प्रदेश के इंदौर के एक गांव में जातीय भेदभाव को देखने को मिला. जिसने संविधान दिवस को शर्मसार कर डाला. दरअसल, सांघवी गांव में एक दलित दूल्हे और बारात को मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया. जिसके बाद दोनों पक्षों में जमकर बहस हुई फिर पुलिस की मौजूदगी में दूल्हे को मंदिर में प्रवेश करवाया गया.
Dalit groom banned temple: जानिए क्या है पूरा मामला
सांघवी गांव में अंकित सोलंकी नाम के लड़के की बारात निकल रही थी. परंपरा के अनुसार दूल्हा मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचा लेकिन गांव के कुछ दबंगों ने उसे मंदिर के भीतर जाने से रोक दिया. इस दौरान दूल्हे के साथ पहुंचे बारातियों और परिजनों ने भगवान के दर्शन की गुहार लगाई, लेकिन मौजूद दबंगों ने किसी की एक न सुनी. देखते ही देखते स्थिति तनावपूर्ण होती गई. दलित परिवार ने पहले ही पुलिस को बारात और मंदिर दर्शन की जानकारी दे दी थी, इसके बावजूद पुलिस समय पर मौके पर नहीं पहुंची.
पुलिस के आने के बाद खुला मंदिर का रास्ता
तकरीबन दो घंटे तक बहस चलती रही इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया. पुलिस की मौजूदगी में दूल्हे को मंदिर में प्रवेश कराया गया. अखिल भारतीय बलाई महासंघ के अध्यक्ष मनोज परमार ने कहा, ‘‘कुछ लोगों की कुंठित मानसिकता के कारण ग्रामीण इलाकों में हमारे समुदाय को आज भी जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है. सांघवी गांव में करीब दो घंटे की गहमागहमी के बाद दलित समुदाय का दूल्हा पुलिस के साये में मंदिर में दर्शन कर सका.’’