रोहतक। रोहतक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रशासन सोशल मीडिया पर नजर जमाए हुए है। साइबर सैल सहित अलग-अलग टीमों प्रशासन की टीम यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक व व्हाट्सएप ग्रुप आदि पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित विज्ञापनों का खर्च भी संबंधित उम्मीदवार या पार्टी के खाते में जोड़ा जाएगा। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार अधिकतम 95 लाख रुपये खर्च कर सकता है। इसके लिए उसने अलग से खाता बनाना होगा और चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद एक महीने के अंदर-अंदर अपने चुनाव खर्च का ब्योरा आयोग में जमा कराना होगा। ऐसा न करने वाले उम्मीदवारों को आयोग द्वारा आगामी चुनावों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
भ्रामक चुनाव सामग्री का प्रसारण नहीं होगा
उपायुक्त और जिला निर्वाचन अधिय कुमार ने कहा है कि लोकसभा आम चुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से संपन्न करवाने के दृष्टिगत प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है। कोई भी उम्मीदवार व पार्टी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भ्रामक च नाव सामग्री का प्रसारण नहीं कर सकते। चुनाव के दौरान समाचार पत्र, टेलीविजन व रेडियो की तरह सोशल मीडिया पर भी चुनाव के दौरान प्रचार किया जाता है, जिस पर राशि खर्च होती है। यह खर्च संबंधित प्रत्याशी या पार्टी के खाते में जोड़ा जाता है।
मीडिया की अहम भूमिका
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न करवाने में मीडिया की अहम भूमिका होती है। मीडिया का कर्तव्य केवल खबरें देना ही नहीं है, बल्कि समाज में सौहार्दपूर्ण माहौल को बनाए रखने में अपनी भूमिका अदा करना भी है। समाज में मीडिया की हमेशा सकारात्मक भूमिका रही है। लोकसभा चुनाव को पारदर्शी ढंग से संपन्न करने में भी समाचार पत्र, व्यूज चौनल सहित अन्य सभी सोशल मीडिया से जुड़े लोगों से अपील है कि वे ऐसी कोई भ्रामक प्रचार सामग्री न चलाएं, जिससे आदर्श चुनाव आचार संहिता की उल्लंघना हो।
जीत का दावा किया तो होगी कार्रवाई
निगरानी टीम को यदि ऐसे वीडियो मिलते हैं जो अपनी खबरों से किसी प्रत्याशी या राजनीतिक दल का एकतरफा जीत का दावा या समर्थन करते हो या जाति, धर्म विशेष के पक्ष में या कोई सामक सामग्री दशार्ते हों. आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हों तो उस स्थिति में संबंधित यू-ट्यूब चैनल चलाने वाले के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। समाचार पत्र या चैनल पर कोई भी विज्ञापन प्रकाशित करवाने से पहले एमसीएमसी कमेटी के माध्यम से अनुमति लेगी जरूरी है, उसी प्रकार से सोशल मीडिया पर दिए जाने वाले विज्ञापन या अन्य प्रसार सामग्री डालने के लिए भी प्रशासन की अनुमति जरूरी है।