चंडीगढ़ : हरियाणा में लिंगानुपात सुधारने के लिए राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की साप्ताहिक बैठक मंगलवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में अवैध गर्भपात पर अंकुश लगाने और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत राज्य के लिंगानुपात में और अधिक सुधार लाने के प्रयासों को तेज करने पर फोकस किया गया।
बैठक के दौरान, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अवैध गर्भपात की प्रथाओं के प्रति जीरो-टोलरेंस के दृष्टिकोण पर जोर दिया और अधिकारियों को सभी स्तरों पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने चेतावनी दी कि कानून को लागू करने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अवैध गर्भपात में संलिप्त पाए जाने वाले डॉक्टरों के मामले को उनके लाइसेंस रद्द करने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजा जाएगा।
बैठक में बताया गया कि पिछले सप्ताह (6 से 12 मई, 2025) में एमटीपी किट की अवैध बिक्री को लेकर राज्य भर में 19 छापे मारे गए और 17 एफआईआर दर्ज की गईं। इसके अलावा, अवैध कार्य पाए जाने पर 13 दुकानों को सील कर दिया गया और 145 एमटीपी किट जब्त किए गए। आरोपियों के खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
राज्य में कुल 43 एफआईआर दर्ज
गौरतलब है कि एसटीएफ के गठन के बाद राज्य में कुल 43 एफआईआर दर्ज की गई हैं, 21 दुकानें सील की गई हैं और 6200 एमटीपी किट जब्त की गई हैं। विभाग को सभी पंजीकृत मामलों पर सख्ती से अमल करने और अवैध प्रथाओं में शामिल व्यक्तियों का पता लगाने और इन मामलों को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने के निर्देश दिए।
गर्भपात की संख्या एक सप्ताह के भीतर 425 से घटकर 226 हो गई
अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने अवैध गर्भपात को रोकने के लिए एमटीपी सेंटरों पर गहन निरीक्षण करने पर भी जोर दिया। एमटीपी किट की बिक्री को विनियमित करने के लिए, अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए कि प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पहचान संख्या के बिना कोई भी एमटीपी किट नहीं बेची जाए। जन्म पंजीकरण के आंकड़ों में बेहतर सटीकता सुनिश्चित करने के लिए, अधिकारियों को हर हफ्ते झुग्गी-झोपड़ियों में जाने और जन्म पंजीकरण शिविर आयोजित करने के लिए कहा गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य में कोई भी नवजात शिशु अपंजीकृत न रहे। बैठक में बताया गया कि 12 सप्ताह या उससे अधिक समय में गर्भपात की संख्या एक सप्ताह के भीतर 425 से घटकर 226 हो गई, जो कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम है।
मोबाइल वैन चलाना शुरू
बैठक में यह भी बताया गया कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने सोशल मीडिया पर समर्पित अभियानों के साथ-साथ बालिका-पहल को बढ़ावा देने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों में मोबाइल वैन चलाना शुरू कर दिया है। ये बहुआयामी प्रयास न केवल लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हैं बल्कि समाज को बालिकाओं के जन्म का जश्न मनाने और उनका समर्थन करने के लिए सशक्त भी बनाते हैं।
इस अवसर पर बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव और मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।