Thursday, May 29, 2025
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बीएएमएस और झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्ती: 1787 एमटीपी किट्स जब्त; अवैध गर्भपात के मामलों में 6 एफआईआर दर्ज

चंडीगढ़: हरियाणा में लिंगानुपात को सुधारने के लिए गठित राज्य टास्क फोर्स (एसटीएफ) की साप्ताहिक बैठक  स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में आयोजित हुई।

बैठक के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अधिकारियों को अवैध गर्भपात की प्रथाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और दोषी डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द करने के निर्देश दिए।

बैठक में जानकारी दी गई कि 20 मई से 26 मई 2025 के बीच राज्यभर में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) किट्स की अवैध बिक्री पर छापेमारी की गई, जिसमें 1787 एमटीपी किट्स जब्त की गईं और 6 एफआईआर दर्ज की गईं। इसके अलावा, 3 दुकानों को अवैध गतिविधियों के चलते सील किया गया। इसके अलावा,हरियाणा में एमटीपी किट्स बेचने वाले थोक विक्रेताओं की संख्या एक महीने में 32 से घटाकर 6 कर दी गई है। इसके अलावा,3 मामलों में एमटीपी किट्स की अधिक कीमत वसूलने की शिकायत मिली, जबकि 2 फर्मों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया गया। राज्य के 14 जिलों में एमटीपी किट्स की बिक्री में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अवैध गर्भपात में लिप्त बीएएमएस डॉक्टरों और झोलाछाप चिकित्सकों (क्वैक्स) को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) को जवाबदेह बनाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि उनके क्षेत्र में कोई भी अवैध गर्भपात न हो।

सीएमओ हर बुधवार बैठक कर अवैध गर्भपात रोकथाम और लिंगानुपात सुधार की समीक्षा करें

यह भी निर्देश दिए गए कि एसएमओ हर मंगलवार को चिकित्सा अधिकारियों और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक करें और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) हर बुधवार को एसएमओ के साथ बैठक कर अवैध गर्भपात रोकथाम और लिंगानुपात सुधार की समीक्षा करें। यह भी निर्णय लिया गया कि राज्य के 122 सीएचसी के अंतर्गत कार्यरत 686 सब रजिस्ट्रार को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी जिससे जवाबदेही बढ़े।

अधिकारियों को राज्यभर में संचालित आईवीएफ केंद्रों के पंजीकरण डेटा को पुनः सत्यापित करने और उनके कार्यों की कड़ी निगरानी करने के निर्देश भी दिए गए, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता या अवैध गतिविधि ना हो सके। नियमों का सख्ती से पालन कराने और उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए। इसके अतिरिक्त, गांवों और झुग्गी क्षेत्रों में जहां प्रवासी आबादी अधिक है, वहां अधिक से अधिक जन्म पंजीकरण शिविर आयोजित किए जाएं, ताकि राज्य में जन्म लेने वाला कोई भी बच्चा बिना पंजीकरण के न रहे।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने फरीदाबाद, सोनीपत और नूंह जिलों की पीओ (आईसीडीएस)/सीडीपीओ को निर्देशों के पालन में लापरवाही बरतने पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए, क्योंकि इन जिलों में गर्भवती महिलाओं को परामर्श देने के लिए आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को ‘सहेली’ के रूप में नियुक्त नहीं किया गया था।

महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देशित किया गया कि वे गांवों में आईइसी गतिविधियां तेज करें, जिसमें ‘लाड़ो पंचायत’, ‘कुआं पूजन’ जैसे कार्यक्रम शामिल हों, साथ ही नवजात बालिकाओं वाले परिवारों को उपायुक्तों द्वारा सम्मानित किया जाए। इन पहलों का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी, जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त बनाना है।

बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रिपुदमन सिंह ढिल्लों सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित रहे।

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