रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में 27 अप्रैल से 7 दिवसीय चली आ रही श्रीमद्भागवत कथा का वीरवार को भक्तिभाव और हर्षोल्लास से समापन हुआ। प्रात: 8 बजे हवन, दोपहर 12 बजे मुख्य अतिथि द्वारा ध्वजारोहण, प्रात: 11 बजे हरि इच्छा तक भजन गायिका अल्का गोयल द्वारा भजन सुनाये गए। 12:30 बजे स्वामी विश्वेश्वरानंद जी की कथा का समापन हुआ। साध्वी मानेश्वरी देवी सहित संत महत्माओं ने प्रवचन दिए। 2 बजे विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। सुंदर भजनों के गुणगान पर भक्त मस्ती में नाचते गाते नजर आए। आरती के पश्चात भक्तों ने विशाल भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।
साध्वी मानेश्वरी देवी ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं राम, सनातन धर्म की पहचान हैं राम, चेतना और सजीवता का प्रमाण हैं राम। राम सिर्फ परमात्मा का नाम ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान की पहचान हैं। दो अक्षरों के संयोग से निर्मित राम प्रत्येक प्राणी के हृदय में प्राण रूप में रमण कर रहा है। यदि किसी देवता में आपको मर्यादा, नैतिकता, विनम्रता, दया, करूणा, स्नेह, क्षमा, धैर्य, त्याग का एक साथ दर्शन करना है तो श्रीराम के चरित्र का अवलोकन करें। भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। परमात्मा का सच्चा सुख संसार की भौतिक चीजों में नहीं परमात्मा की सच्ची भक्ति में है।
इस अवसर पर कथा व्यास स्वामी विश्वेश्वरानंद ने कहा कि धर्म एवं अपनी संस्कृति को बचाने के लिए यदि मनुष्य को अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े तो यह किसी भक्त और श्रद्धा से कम नहीं है। क्योंकि यदि धर्म और संस्कृति नहीं रही तो ऐसा जीवन जीने का क्या लाभ। धर्म और संस्कृति ही जीवन को सतमार्ग के लिए ले जाती है। धर्म नीति बनाते हैं और संस्कृति उसको संजोकर रखती है। इसलिए धर्म और संस्कृति जीवन के दो पहिए हैं जिनके आधार पर ही हम अपना जीवन जिए तो कल हमारा बेहतर होगा।
इस अवसर पर महामण्लेश्वर स्वामी कपिल पुरी महाराज, महंत कमल पुरी महाराज, महामण्लेश्वर कर्ण पुरी महाराज, स्वामी कालीदास, महामण्लेश्वर डॉ. परमानंद, महामण्लेश्वर विश्वेशवरानंद, महामण्लेश्वर राघवेंद्र भारती, महंत मदन गोपाल, महामण्लेश्वर अनुभूतानंद, महंत दिलबाग सिंह, महंत ईश्वर शाह, महंत खुशहाल दास, बाबा हरदाल, महामण्लेश्वर माता आसानंद, दीदी वीना, ब्रह्मऋषि महाराज भक्तों को प्रवचन और आर्शीवचन दिया।