गोरखपुर : सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्तर पर लाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी और जन जागरूकता के समन्वय से ही अच्छे परिणाम आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य तय किया है उसमें राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इन कार्यक्रमों में जन प्रतिनिधियों के जरिये जन सहभागिता भी होनी चाहिए क्योंकि कोई भी आंदोलन जन सहभागिता के बिना सफल नहीं हो सकता।
सीएम योगी गुरुवार को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम – एनसीएपी) पर नगर निगम की तरफ से एक होटल में आयोजित नेशनल कांफ्रेंस के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रही है। सरकार का लक्ष्य 22 हजार मेगावाट ऐसी ऊर्जा के उत्पादन पर है। इसी क्रम में अयोध्या को पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया गया है जहां 6 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी की व्यवस्था हुई है। बुंदलेखंड में 5 हजार मेगावाट के ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों को सोलर सिटी बनाएगी।
‘2027 तक गोरखपुर को खुले में कचरा जलाने से मुक्त शहर बनाने का रोडमैप’ थीम पर महानगर के एक होटल में आयोजित कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रकृति सबकी आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है पर किसी के लोभ को पूरा करने का सामर्थ्य उसमें नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रकृति-पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में चलाए गए कार्यक्रमों का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्तर पर लाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा सबने कोविड काल में देखा है। कोविड के दूसरे लहर में लोग ऐसे ही तड़प रहे थे जैसे जल से निकली मछली तड़पती है। उन्होंने कहा की मानव से तैयार विकृतियों का दुष्परिणाम मानव को खुद ही भुगतना होगा।
हैलोजन की जगह एलईडी के प्रयोग से हुई एक हजार करोड़ की बचत
काबर्न उत्सर्जन को न्यूनतम करने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयासों की चर्चा करते हुए सीएम योगी ने कहा कि 2017 से राज्य सरकार ने प्रदेश से 17 लाख हैलोजन हटाकर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगवाई है। इस पर एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। हैलोजन से कार्बन उत्सर्जन अधिक होता था साथ ही ऊर्जा का व्यय भी अधिक होता था। एलईडी लाइट लगने से कार्बन उत्सर्जन भी कम हुआ और ऊर्जा की भी बचत हो रही है। एलईडी लगवाने के एवज में संबंधित कम्पनी को ऊर्जा बचत के अंतर का पैसा दिया गया। इस व्यवस्था से निकायों में एक हजार करोड़ रुपये की बचत हुई।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग और जल स्रोतों के संरक्षण पर जोर
अपनी संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग और तालाबों के संरक्षण पर जोर दिया। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था हर घर में होनी चाहिए। इससे भूगर्भीय जल का स्तर सुधरेगा और सुख रही नदियों को भी संजीवनी मिलेगी। वातावरण में नमी का स्तर मेंटेन रहेगा और धूल के कण अवशोषित होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि इसी तरह तालाबों को कब्जा मुक्त रखने की जरूरत है।
सीएम योगी ने समझाया महाकुंभ की सफलता का रहस्य
इस अवसर मुख्यमंत्री ने प्रयागराज माहाकुंभ की सफलता का राहास्य भी समझाया। उन्होंने कहा कि लोग स्नान तो अपने घर पर भी कर लेते हैं लेकिन वहां मां गंगा-यमुना को देखने और त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पूर्ण का भागीदार बनने आ रहे थे। यदि वहां जल नहीं होता, गंदगी और अव्यवस्था होती, कनेक्टिविटी नहीं होती तो कोई नहीं आता। प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए। सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि माहाकुंभ के दौरान गंगा में 10 से 12 क्यूसिक और यमुना में 8 से 10 क्यूसिक पानी मेंटेन रहे। ऐसा नहीं होता तो पहले ही चरण में महाकुंभ मेला उखड़ गया होता।
जल, जंगल और जमीन से समृद्ध है गोरखपुर के आसपास का क्षेत्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर बहुत अच्छी सिटी है। गोरखपुर और आसपास का क्षेत्र जल, जंगल और जमीन से समृद्ध है। यहां पर्याप्त फारेस्ट एरिया है, पर्याप्त लैंड है और कई झीलें और नदियां हैं। उन्होंने कहा कि सरप्लस लैंड का उपयोग कर हम कार्बन उत्सर्जन न्यूनतम करने में सफल हो सकते हैं।
इस अवसर पर सांसद रविकिशन शुक्ल, जिला पंचायत अध्यक्ष साधना सिंह, विधायक फतेह बहादुर सिंह, श्रीराम चौहान, राजेश त्रिपाठी, विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, डॉ. विमलेश पासवान, प्रदीप शुक्ल, एलएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, पूर्व महापौर सीताराम जायसवाल, अंजू चौधरी, सत्या पांडेय, भाजपा के महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता आदि भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।