clay bread: पेट की भूख कितनी खराब होती है इससे तो सभी वाकिफ है। जिंदा रहने के लिए इंसान से लेकर जीव-जन्तु हर किसी को भोजन की जरुरत होती है। गरीब से गरीब इंसान दो वक्त की रोटी के लिए कितनी मेहनत करता है। लेकिन आप जानते हैं एक ऐसा देश भी है जहां भूख मिटाने के लिए लोग अन्न नहीं बल्कि मिट्टी की रोटी (clay bread) खाने को मजबूर हैं।
विशेष मिट्टी की रोटी (clay bread) खाते हैं
कैरेबियन सागर के एंटिल्स में हिसपनिओला द्वीप पर, क्यूबा और जमैका के पूर्व में और बहामास, तुर्क और कैकोस द्वीप समूह के दक्षिण में स्थित देश को दुनिया का सबसे गरीब देश माना जाता है। इस देश की कुल आबादी मात्र 1 करोड़ 20 लाख है। इस छोटे से देश के निवासी इतने गरीब हैं कि उन्हें अपना पेट भरने के लिए मिट्टी की रोटी खाना पड़ता है। चार्लेन डुमास हैती के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है। इस स्लम एरिया के लोग आमतौर पर दोपहर के भोजन के रूप में इस विशेष मिट्टी की रोटी खाते हैं।
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बढ़ती कीमतों की वजह से खेती में बहुत से लोग एक समय का भोजन भी नहीं कर पा रहे हैं। अपना पेट भरने के लिए उन्होंने मिट्टी से बनी रोटी का सहारा लिया है। कृषि, परिवहन और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के कारण दुनिया भर में खाद्य पदार्थों की कीमतें भी बढ़ी हैं। कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से चावल, गेहूं, मक्का जैसे खाद्यान्नों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। वहीं मुद्रास्फीति दुनिया भर के देशों को प्रभावित करती है। कैरेबियन में आयात पर निर्भर देशों पर इसका प्रभाव अधिक होता है।
मिट्टी के लोंदे में नमक और मसाले मिलाकर बनती है मिट्टी की रोटी
ये मिट्टी की रोटियां बाजार में सब्जी और मांस के साथ बिकती है। मिट्टी की रोटी को तैयार करने के लिए सबसे पहले बाजार से सूखी मिट्टी खरीदी जाती है। मिट्टी को कुचलकर उसमें से बजरी-पत्थर निकाले जाते हैं। उसके बाद, मिट्टी को कुचलकर पानी में भिगोकर कीचड़ बनाया जाता है। इसके बाद उस मिट्टी के लोंदे में नमक और मसाले मिलाकर उसे रोटी की तरह बेल लिया जाता है. एक बार जब गोलाकार मिट्टी की रोटियाँ बन जाती हैं, तो उन्हें धूप में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। मिट्टी की रोटी को दो से तीन दिन तक धूप में सुखाया जाता है और फिर खाने के लिए लाया जाता है। ये रोटियां बाजार में बहुत कम कीमत में बिकती है।