चंडीगढ़: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र के सभी नलकूपों को चरणबद्ध रूप से पूरी तरह सौर ऊर्जा से जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री ने ये निर्देश शुक्रवार को चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (PM-KUSUM) के तहत आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिए। बैठक में ऊर्जा मंत्री श्री अनिल विज भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा बिजली उत्पादन निगम (HPGCL) हर जिले में कम से कम दो कृषि फीडरों के सौरकरण के लिए पांच—पांच एकड़ के स्थानों को चिह्नित करे, जहां सोलर पैनल स्थापित कर कृषि नलकूपों को सौर ऊर्जा से बिजली आपूर्ति दी जा सके।
गन्नी खेड़ा गांव में 300 एकड़ भूमि पर सोलर प्लांट प्रस्तावित
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सुझाव दिया कि पंचकूला जिले के रायवाली गांव में स्थित 220 केवी सब स्टेशन के निकट गन्नी खेड़ा ग्राम पंचायत की लगभग 300 एकड़ भूमि पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जाए। इस प्लांट से जिले के सभी कृषि नलकूपों को सौर ऊर्जा की आपूर्ति संभव हो सकेगी। साथ ही, पंचकूला जिले के कॉलेज, उपायुक्त कार्यालय, पिंजौर फल एवं सब्जी मंडी टर्मिनस, बस स्टेड जैसी जगहों पर भी खाली भूमि पर सोलर पैनल लगाए जाएं।
सामाजिक समारोह के उपयोग लायक बनाए जाएं सोलर पैनल स्ट्रक्चर
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन पंचायतों द्वारा सौर ऊर्जा प्लांट के लिए भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी, वहां सोलर पैनल इस प्रकार लगाए जाएं कि उनका ढांचा “कल्याणम मंडपम” के रूप में भी कार्य करे। जिससे उसके नीचे सामाजिक समारोहों का आयोजन संभव हो।
मंडियों और गोदामों की छतों पर लगेंगे सोलर पैनल
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड की मंडियों के शैड्स और हरियाणा भंडार निगम के गोदामों की छतों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाए जाएंगे। इससे बिजली उत्पन्न कर आवश्यकतानुसार कृषि कार्यों में आपूर्ति की जाएगी।
सोलर पंपों की संख्या 1.58 लाख पार, 70 हजार पंपों का लक्ष्य
बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए.के. सिंह ने जानकारी दी कि वर्ष 2018-19 से लागू पीएम-कुसुम योजना के तहत अब तक राज्य में 1.58 लाख से अधिक सोलर पंप लगाए जा चुके हैं। वित्त वर्ष 2025-26 में राज्य में 70,000 नए सोलर पंप लगाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 600 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। योजना के तहत 3 से 10 एचपी के सोलर पंपों की लागत 1.41 लाख रुपये आती है, जिसमें 25% किसान द्वारा खर्च वहन किया जाता है, शेष 30 प्रतिशत केंद्र सरकार और 45 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है।
सोलर पंप खराब होने की शिकायतों पर होगा व्यक्तिगत फॉलोअप
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सोलर पंपों के खराब होने की शिकायतों को गंभीरता से लें। जिन गांवों से ऐसी शिकायतें आ रही हैं, वहां संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से किसानों से संपर्क करें। साथ ही, उन गांवों में जाकर विशेष शिविर लगाएं, जहां अधिक संख्या में सोलर पंप लगे हुए हैं।