Friday, September 5, 2025
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सीडीएस अनिल चौहान बोले- युद्ध व अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता

गोरखपुर : ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। ‘भारत के समक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने कहा कि युद्ध में सफलता हासिल करने के लिए सरप्राइज (अचरज) एक महत्वपूर्ण फैक्टर होता है। उरी सर्जिकल स्ट्राइक में भारत ने जमीन के रास्ते जाकर आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया, बालाकोट में एयर स्ट्राइक का सहारा लिया गया। जबकि पहलगाम हमले के बाद लो एयर स्पेस, ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। भारतीय सेनाओं ने हर बार दुश्मन को सरप्राइज कर अपना टारगेट पूरा किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भारतीय सेनाएं 365 दिन, 24×7 के फार्मूले पर हमेशा तैयार हैं। आतंकवादी कहीं भी हो, उसे ढूढ़कर मारा जाएगा।

सीडीएस जनरल चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक व्यापक और महत्वपूर्ण विषय है। हर वर्ग और व्यक्ति इसे अपने नजरिए से देखता है। किसी देश के राजदूत इसे द्विपक्षीय या बहुपक्षीय दृष्टि से देखते हैं तो अर्थशास्त्री इसे आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से। सैनिक का दृष्टिकोण भिन्न होता है। उन्होंने बताया कि आचार्य चाणक्य ने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए चार तथ्य बताए हैं, राष्ट्र के आंतरिक खतरे, वाह्य खतरे, बाहरी सहयोग से आंतरिक खतरे और आंतरिक सहयोग से बाहरी खतरे।
सीडीएस ने कहा कि समग्र रूप से राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तीन घटक महत्वपूर्ण होते हैं। भूमि की सुरक्षा, विचारधारा की सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए इन तीनों की सुरक्षा अनिवार्य है। इस संदर्भ में उन्होंने तीन घेरों सैन्य सुरक्षा, राष्ट्र की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा की विस्तार से चर्चा की। कहा कि सैन्य तत्परता के लिए रक्षा संसाधनों, अनुसंधान एवं विकास के साथ रणनीतिक संस्कृति अहम होती है। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी भी जरूरी है।

सीडीएस जनरल चौहान ने एक जर्मन विद्वान के उद्धरण के हवाले से कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में युद्ध, राजनीति का ही विस्तार है। युद्ध और अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अलग अलग नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब किसी राष्ट्र की सरकार यह सोचती है कि दूसरे राष्ट्र के खिलाफ बल प्रयोग करने की जरूरत है तो वह सैन्य अफसरों को कार्य करने के लिए निर्देशित करती है। इसमें सैन्य क्षमता पर भरोसा और सैन्य विकल्पों की विविधता महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि सैन्य क्षमता की मजबूती इस बात पर भी निर्भर होती है कि किसी राष्ट्र ने शांतिकाल में रक्षा क्षेत्र में कितना खर्च किया। सीडीएस ने बताया कि भारत की तीनों सेनाओं ने गलवान, बालाकोट में मजबूत सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि बालाकोट हमले के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ने अलग अलग सीख ली। पाकिस्तान ने एयर डिफेंस पर ध्यान दिया तो भारत ने लंबी दूरी तक हमला करने वाले हथियारों पर।

ऑपरेशन सिंदूर में काफी कम थी आमने-सामने की लड़ाई

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व से सैन्य बलों को दिशा मिलती है। ऑपरेशन सिंदूर में नेतृत्व से क्लियर कट दिशानिर्देश था कि आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाना है, नागरिक ठिकानों को नहीं। दुश्मन के किसी भी उकसावे पर सेना को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दी गई थी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का मकसद सिर्फ बदला लेना नहीं था, धैर्य का स्तर भी बढ़ाना था। ऑपरेशन सिंदूर ऐसा पहला युद्ध तहस जिसमें दुश्मन से आमने सामने की लड़ाई काफी कम थी। इसमें न फ्रंट था और न रियर। ऑपरेशन सिंदूर अभी ऑफिशियली टर्मिनेट नहीं किया गया है।

सीमा विवाद राष्ट्र की सुरक्षा में पहली चुनौती

सीडीएस ने कहा कि भारत मे राष्ट्र की सुरक्षा की पहली चुनौती सीमा विवाद की है। पाकिस्तान और चीन से हुई लड़ाइयां सीमा विवाद का ही परिणाम हैं। पाकिस्तान की तरफ से प्रॉक्सी वार, पड़ोसी देशों में अस्थिरता और युद्ध के बदलते स्वरूप अन्य चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध का स्वरूप अब विकेंद्रित होता जा रहा है। भविष्य में नई तकनीकी आधारित, रोबोटिक्स और मानवरहित युद्ध हो सकते हैं।

संकट खत्म होने के बाद की स्थिति है ’न्यू नॉर्मल’ नीति

सीडीएस ने कहा कि ‘न्यू नॉर्मल’ नीति ऐसी स्थिति होती है जो संकट खत्म होने के बाद बनती है। जैसे कोविड के बाद वर्क फ्रॉम होम और नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन की अभ्यस्तता। पर, न्यू नॉर्मल में यह स्पष्ट है कि आतंकवाद और बातचीत, व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते।

तलवार और ढाल दोनों का काम करेगा ‘सुदर्शन चक्र’

सीडीएस ने अपने संबोधन में पीएम मोदी द्वारा घोषित ‘सुदर्शन चक्र’ वायु रक्षा प्रणाली की चर्चा करते हुए कहा कि इसे 2035 तक पूरा करने का लक्ष्य है। सुदर्शन चक्र स्वार्ड (तलवार) और शील्ड (ढाल) दोनों का काम करेगा। उन्होंने कहा सुरक्षित और सशक्त भारत वसुधैव कुटुम्बकम की भूमिका निभाना चाहता है।

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