चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की उपस्थिति में बुधवार को हरियाणा सिविल सचिवालय में क्वालिटी एश्योरेंस ऑथोरिटी, हरियाणा द्वारा दो महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए गए। ये समझौते क्रमशः क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली तथा नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज़ (NABL) के साथ संपन्न हुए।
इन एम.ओ.यू. पर क्वालिटी एश्योरेंस ऑथोरिटी, हरियाणा के चेयरपर्सन राजीव अरोड़ा तथा क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली के महासचिव चक्रवर्ती टी. कनन ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एन.ए.बी.एल के चेयरमैन डॉ. संदीप शाह उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस अवसर पर कहा कि इन दोनों समझौतों से हरियाणा में न केवल तकनीकी दक्षता और गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली को नया आयाम मिलेगा, बल्कि सार्वजनिक निर्माण कार्यों की विश्वसनीयता, सुरक्षा और स्थायित्व भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगा।
उन्होंने यह भी कहा की एन.ए.बी.एल के साथ हुए समझौते से प्रदेश की कृषि एवं मंडी प्रणाली को अधिक वैज्ञानिक और आधुनिक बनेगी । उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि एन.ए.बी.एल की तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए मंडियों में ऐसी लैब्स की स्थापना को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया जाए, ताकि किसानों को वैज्ञानिक परीक्षण सुविधाएँ तुरंत उपलब्ध हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडियों में नमी (मॉइस्चर) मापने वाली अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध होने से किसानों को फसल की गुणवत्ता का सटीक एवं त्वरित मूल्यांकन मिल सकेगा, जिससे खरीद प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में सड़कों, पुलों, इमारतों, शहरी अवसंरचना तथा अन्य सार्वजनिक निर्माण कार्यों का तेजी से विस्तार हो रहा है। ऐसे में सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक परियोजना उच्च गुणवत्ता और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप पूर्ण हो। उन्होंने कहा कि इन समझौतों के माध्यम से इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और निर्माण एजेंसियों को आधुनिक तकनीकों तथा अत्याधुनिक गुणवत्ता प्रणालियों का लाभ मिलेगा, जिससे परियोजनाओं की गति और सटीकता दोनों में वृद्धि होगी।
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली के साथ हुए समझौते के तहत राज्य के इंजीनियरों, साइट पर्यवेक्षकों और ठेकेदारों को व्यापक तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इस प्रशिक्षण में बी.आई.एम., जी.आई.एस., ड्रोन तकनीक और डिजिटल कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट जैसे आधुनिक उपकरणों एवं तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही सुरक्षा मानकों, पर्यावरण-अनुकूल निर्माण पद्धतियों, कचरा प्रबंधन तथा प्रदूषण नियंत्रण पर भी विशेषज्ञ मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा। इससे विभागों की तकनीकी क्षमता बढ़ेगी तथा डी.पी.आर. तैयारी, डिजाइन सत्यापन और साइट पर्यवेक्षण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
वहीं एन.ए.बी.एल के साथ हस्ताक्षरित एम.ओ.यू. का उद्देश्य राज्य की प्रयोगशाला परीक्षण प्रणाली को और अधिक विश्वसनीय तथा पारदर्शी बनाना है। एन.ए.बी.एल से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएँ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होती हैं। इससे अब हरियाणा में सरकारी परियोजनाओं की परीक्षण रिपोर्टें वैज्ञानिक रूप से अधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय होंगी। यह समझौता विभागों की निगरानी क्षमता को मजबूत करेगा, परीक्षण में त्रुटियों को कम करेगा तथा परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होगा। इसके साथ ही राज्य का प्रयोगशाला पारिस्थितिकी तंत्र अधिक सुदृढ़, पारदर्शी और जवाबदेह बनेगा।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में सार्वजनिक निर्माण कार्यों और प्रयोगशाला परीक्षण मानकों को तकनीकी रूप से अधिक उन्नत एवं विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण पहल की गई है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. साकेत कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

