Saturday, May 18, 2024
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रोहतक उपभोक्ता विवाद आयोग का बड़ा फैसला, बीमा कंपनी पर इलाज खर्च और 75 हजार का लगाया जुर्माना

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जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने तीन साल चली सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया है कि शुगर और उच्च रक्तचाप को पुरानी बीमारी बताकर इलाज खर्च देने से नहीं कर सकते इंकार

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रोहतक। रोहतक उपभोक्ता विवाद आयोग ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि बीमा कंपनी शुगर व उच्च रक्तचाप को पुरानी बीमारी बताकर उपचार में हुए खर्च को देने से इन्कार नहीं कर सकती। दोनों सामान्य बीमारियां हैं, जो कभी भी हो सकती हैं। बीमा कंपनी याचिकाकर्ता माॅडल टाउन, मूलरूप से हांसी, जिला हिसार निवासी पुष्पा कांता उर्फ कांता जैन को उपचार में खर्च हुए 1.84 लाख रुपये 9 प्रतिशत ब्याज सहित दे। साथ ही पांच हजार रुपये हर्जाने और पांच हजार रुपये कानूनी खर्च के तौर पर दिए जाएंगे। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने तीन साल चली सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया है।

आयोग के रिकाॅर्ड के मुताबिक कांता जैन ने जनवरी 2019 में याचिका दायर की थी कि उसने 2015 में चिकित्सा बीमा पॉलिसी ली थी, जिसका 2017 में 3487 रुपये फीस जमा करवाकर पॉलिसी का 6 अक्तूबर 2017 से 5 अक्तूबर 2018 तक नवीनीकरण कराया था। 23 अक्तूबर 2017 को कांता जैन को हृदय से संबंधित उपचार के लिए निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां 11 हजार 450 रुपये खर्च आया। इसके बाद 29 से 31 अक्तूबर तक एक्सपर्ट के पास दूसरे निजी अस्पताल में इलाज कराया गया, जहां खर्च एक लाख 72 हजार 730 रुपये इलाज पर खर्च आया। इसके बाद पीड़ित ने दोनों अस्पतालों का बिल बीमा कंपनी को क्लेम के लिए भेजा। कंपनी ने इलाज खर्च देने से इन्कार कर दिया। याचिकाकर्ता ने लीगल नोटिस भेजा, इसके बावजूद दावा मंजूर नहीं किया गया।

याचिकाकर्ता ने 18 प्रतिशत ब्याज सहित इलाज पर खर्च हुए 1 लाख 84 हजार 180 रुपये, 51 हजार रुपये मुआवजा व 25 हजार रुपये कानूनी खर्च के तौर पर देने की मांग की। बीमा कंपनी ने आयोग का नोटिस मिलने के बाद जवाब दाखिल किया। बताया कि शुगर व उच्च रक्तचाप पॉलिसी से पहले याचिकाकर्ता को थी, जिसकी वजह से हृदय में दिक्कत आई। दूसरा क्रॉनिक प्रकृति और पॉलिसी तीन साल पुरानी है। ऐसे में दावा मंजूर नहीं किया जा सकता।

आयोग के सामने पीड़ित पक्ष ने बताया कि याचिकाकर्ता का उपचार करने वाले डॉक्टर ने लिखा है कि मरीज को छह माह पहले ही हर्ट संबंधित बीमारी हुई है। इसका पुराना रिकाॅर्ड नहीं है। दूसरा, दिल्ली राज्य आयोग ने 2004 एक फैसले में कहा कि आधुनिक समय में लगभग हर कोई उच्च तनाव वाले जीवन से ग्रस्त है, इसलिए उच्च रक्तचाप और मधुमेह ऐसी बीमारी नहीं है जिसे नियंत्रण में रखने के लिए व्यक्ति को एक निर्धारित उपचार मिलता है। जिससे अनुबंध रद्द हो सकता है। ये सामान्य बीमारी हैं। आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया।

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