नई दिल्ली। भारत मेडिसन के क्षेत्र में बड़ा बाजार बनकर उभरा है और हर रोज नए नए प्रयोग से दुनियां में अपनी धाक जमा रहा है। अब देश ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दुनिया की गंभीर और कम पाई जाने वाली बीमारियों में से 13 बीमारियों की दवाएं भारत में बनाई जाएंगी। भारत के इस प्रयास से करोड़ों रुपये कीमत वाली इन दवाइयों को पहले से कम कीमत पर खरीदा जा सकेगा। Sickle cell Anemia एक ऐसी ही गंभीर और कम होने वाली बीमारियों में से एक है। इस बीमारी से बचाने वाला ये सिरप मार्च 2024 तक मिल पाएगा।
भारत की इस सफलता से करोड़ों रुपये की दवाई अब महज कुछ लाख रुपये में देश में ही उपलब्ध होगा। भारत में करीब 8.4 करोड़ से 10 करोड़ दुर्लभ बीमारी के मरीज़ हैं। रेयर डिजीज की 80% बीमारी जेनेटिक हैं, जो बचपन से बच्चों को जकड़ती हैं। भारत को साल भर में ही चार रेयर डिजीज की दवाइयों को बनाने में सफलता मिली है। इन दवाइयों को जन औषधि केंद्र में भी पहुंचाने की योजना है।
इस लिस्ट में उन बीमारियों की पहचान की गई है जिनका इलाज नहीं है। इन 13 गंभीर और कम पाई जाने वाली बीमारियों में tyrosinemia, gauchers, wilsons, dravet, phenylketonuria, hyperammonemia जैसे नाम शामिल हैं। इन बीमारियों की दवाइयों की कीमत 6 लाख रुपये से 2.2 करोड़ तक की हैं। इन 6 बीमारियों में से 4 मौजूद हैं, बाकी को लेकर अभी मंजूरी मिलना बाकी है। भारत में Nitisinone, Eiglusat, Trientine, Cannabidol की दवाइयां अब मिलने लगेंगी।
Nitisinone बीमारी की दवा की कीमत करोड़ों में है, लेकिन यह अब भारत में बनने के बाद आधे से भी कम में मिलेगी। माना जा रहा है कि 2 करोड़ रुपये की कीमत वाली दवा अब 2.5 लाख रुपये में मिलेगी। Eligustat बीमारी की बात करें तो उसकी कीमत 3.6 करोड़ रुपये है। अब ये दवा 3-6 लाख रुपये में मिल जाएगी। भारत में 8 दवाइयों पर काम हुआ है, जिनमें से 4 को मंजूरी मिल गई है।
इन चार दुर्लभ बीमारी की दवाई भारत ने बनाई :-
टायरोसेनिमिया टाइप 1 : सालाना खर्च पहले करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये, अब करीब ढाई लाख रुपये
Gaucher : ढाई करोड़ से साढ़े 6 करोड़ पहले खर्च, अब कीमत ढाई लाख रुपये
Wilson : 1.8 से 3.6 करोड़ सालाना खर्च आता था, अब कीमत साढ़े 3 लाख रुपये
Dravet : करीब 6 से 20 लाख की कीमत सालाना, अब 1 से 5 लाख रुपये
इन चार बीमारियों को लेकर जो दवाई बनाई गई है वो हैं :-
Nitisinone,
Eliglusat (3 करोड़ से 2.5 लाख)
Trientine (2.2 करोड़ से अब 2.2 लाख)
Cannabidiol (7 से 34 लाख अब 1 से 5 लाख)
कुछ महीनो में चार और दवाई आने वाली है। इन बीमारियों पर दवाई बनाने का काम जारी :-
Phenylketonutoria
Hyperammonemia
Cytic Fibrosis
Sickle Cell
बता दें बाकी चार दवाइयां Sabpropterin, Sodium ehnyl butyare, Caglumic acid Miglusat भी अगले महीने तक मिल पाएंगी अभी अप्रूवल पर है। Sickle cell anemia के लिए Akums drugs भी मार्च 2024 तक आ जाएगा, इसकी कीमत सिर्फ 450 रुपये होगी। जानकारी के मुताबिक Sickle Cell Anemia एक अनुवांशिक बीमारी है, बचपन में बच्चों को टैबलेट खाने में 5 साल तक दिक्कत होती है, इसलिए सिरप पर काम किया जा रहा है। इसका टैबलेट मौजूद है और अब कंपनी ने सिरप भी बना लिया है और अप्रूवल के लिए सबमिट किया है। 70 हजार की जगह 400 रुपये में सिरप अब ‘मेड इन इंडिया’ की वजह से मुमकिन होगा। इस सिकल सेल एनीमिया को लेकर CSIR शोध कर रहा है। जीन को ठीक करने पर काम हो रहा है।