Wednesday, September 10, 2025
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कबूतरों को दाना डालने पर लगेगी रोक, यहां जानें क्या है वजह?

दिल्ली: कबूतरों की लगातार बढ़ती आबादी चिंता बढ़ा रही है। इसके चलते कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां जन्म ले रही हैं। इस कारण दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) कबूतरों को दाना डालने वाले कुछ जगहों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। इसी के चलते मंगलवार को दिल्ली के चित्तरंजन पार्क के प्रवेश द्वार पर कबूतरों को खाना खिलाने की जगह बने ट्रैफिक आइलैंड को PWD ने सोमवार को हटा दिया। जन स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच ये कदम उठाया गया।

चित्तरंजन पार्क में की गई तोड़फोड़

दरअसल चित्तरंजन पार्क में ट्रैफिक आइलैंड कबूतरों को खाना खिलाने का अड्डा बन गया था। मंगलवार सुबह 11 बजे आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज की मौजूदगी में तोड़फोड़ शुरू की गई और PWD ने ध्वस्त कर दिया। इस दौरान सौरभ भारद्वाज ने बताया कि पहले भी इस समस्या का समाधान करने की कोशिश की गई थी, लेकिन लोग कबूतरों को खाना खिलाते रहे।

पार्क को सुंदर बनाने और ग्रिल लगाने से भी कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब तक लोग यहां दाना बेचते रहेंगे तो स्थानीय लोग भी इनसे दाना खरीद कर कबूतरों को डालते रहेंगे। इसे रोकने के लिए कानून व्यवस्था को कदम उठाना होगा। उन्होंने कहा कि इस जगह को एक नियमित रोड डिवाइडर में बदल दिया जाएगा।

लोगों में नाराजगी

वहीं, स्थानीय लोग प्रशासन की इस कार्रवाई से नाराज दिखे। दाना बेचने वालों में भी नाराजगी देखी गई। लोगों का कहना था कि ये जीव पक्षी हैं, उनके पास कुछ नहीं है, उन्हें हम खाने के लिए नहीं देंगे तो कौन देगा? उन्होंने कहा कि उन्हें प्यार दिया जाना चाहिए और बदले में वे हमें प्यार देते हैं।

बच्चों और बुजुर्गों को हो सकती है गंभीर बीमारियां

डॉक्टर्स का कहना है कि कबूतर की बीट में साल्मोनेला, ई. कोली और इन्फ्लूएंजा जैसे रोगाणु हो सकते हैं, जिससे अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीज़ों की संख्या बढ़ सकती है, जिनका एक्सपोज़र कबूतरों से हुआ है। आपको बता दें कि एक स्टडी के दौरान पाया गया कि कबूतरों की बीट में जो केमिकल पाया जाता है वो बच्चों और बुजुर्गों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं।

डॉक्टर्स का कहना है कि जब कबूतर एक जगह ज़्यादा संख्या में होते हैं तो उनकी बीट से क्रिप्टोकोकी जैसे फंगल बीजाणुओं के फैलने का खतरा बढ़ जाता है, जिन्हें सांस के जरिए अंदर लेने से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सही समय पर डॉक्टर के पास चले जाएं, वरना कई बार लास्ट स्टेज में लोग आते हैं, जिससे जान तक जाने का ख़तरा हो सकता है।

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