Saturday, November 23, 2024
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मौत के बाद 7 लोगों को नई जिंदगी दे गया अथर्व, 1 घंटे में तीन राज्यों में अंगदान से बची जान

नई दिल्ली। 18 साल के अथर्व दुनिया को अलविदा कहते हुए कई लोगों को नई जिंदगी दे गए। एक हादसे के बाद बीए इंग्लिश ऑनर्स के स्टूडेंट अथर्व आकाश हेल्थकेयर अस्पताल, द्वारका लाए गए थे। इस भारी दुख के बीच उनके परिवार से फौरन फैसला लिया और अपने बेटे के अंगों को दान कर दिया। अथर्व का एक्सिडेंट 7 मार्च को हुआ। इसके बाद 12 मार्च को ब्रेन डेड घोषित किया गया।

आकाश हेल्थकेयर के न्यूरोसर्जरी और स्पाइन सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट और हेड डॉ. नागेश चंद्रा ने बताया कि हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की गई, मगर वो बच नहीं सके। ब्रेन डेड हो चुका था। लड़के की मौसी पुष्पा जिंदल ने दुख में डूबे अथर्व के माता-पिता को ऑर्गन डोनेशन के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने में खास किरदार निभाया। उन्होंने बताया कि इस दुख के बीच हमें इसी सोच से ताकत मिली कि जाते-जाते वो अपने अंगों के जरिए और लोगों को जिंदगी और उम्मीद दे सकेंगे।

कई लोगों की मिली नई जिंदगी

परिजनों की मंजूरी मिलने के बाद पूरी रात डॉक्टरों की एक टीम ने NOTTO (National Organ & Tissue Transplant Organisation) से संपर्क किया, जो भारत में दान किए हुए अंगों को जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाने की व्यवस्था करता है। रातों-रात दिल्ली के आकाश अस्पताल को ओखला में बने फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर से जोड़ा गया, जहां एक मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट के इंतजार में था। यूपी के वैशाली में मैक्स अस्पताल में एक मरीज किडनी के इंतजार में था। वहीं हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मरीज को फेफड़े ट्रांसप्लांट की जरूरत थी।

आकाश हेल्थकेयर में ही एक और मरीज को इस डोनेशन के जरिए लीवर मिला। कॉर्निया एक प्राइवेट अस्पताल में दान कर दी गईं। हालांकि, तुरंत मरीज न मिलने से उनकी आंतों और पैंक्रियाज को दान नहीं किया जा सका। आधी रात में अथर्व के सभी अंगों को निकाल कर सुरक्षित करने का काम किया गया और साथ ही साथ सभी अस्पतालों के लिए अलग-अलग दिशाओं में एंबुलेंस को दौड़ाया गया। जिस-जिस अस्पताल को अंग चाहिए थे वहां के डॉक्टर द्वारका पहुंचे, ताकि एंबुलेंस में वह खुद मौजूद रहें और अंगों को सुरक्षित मरीज तक पहुंचाया जा सके।

डॉक्टर्स भी कर रहे अथर्व के माता-पिता को सैल्यूटआकाश हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आशीष चौधरी ने भारत में अंगदान की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि देश में सप्लाई से ज्यादा डिमांड हैं, जिस वजह से ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता और हर साल बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। हम अथर्व के माता-पिता को सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने इस बड़े दुख के बीच भी इस बड़े फैसले को लेने की हिम्मत दिखाई।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मदद से डॉक्टरों ने एक घंटे में तीन राज्यों में पांच अलग-अलग अंगों को पहुंचाकर मिसाल कायम की। वहीं अथर्व की मां ने कहा कि अंगदान करके मेरा बेटा शहीद हुआ है। अस्पताल की डॉक्टर्स की टीम ने तुरंत काम करते हुए इस डोनेशन को सफल बनाया। इस टीम में डॉ. अजीताभ श्रीवास्तव, डॉ. आशीष जॉर्ज, डॉ. विकास अग्रवाल, डॉ. नमिता शर्मा, डॉ. संजय अग्रवाल, डॉ. वंदना डुडेजा शामिल हैं।

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