पंजाब विधानसभा की चार सीटों के लिए 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में अमृतपाल सिंह टीम द्वारा उम्मीदवार न खड़ा करने का फैसला किसी अस्थायी कारण के बजाय लंबे विचार-विमर्श के बाद लिया गया है।
अमृतपाल सिंह खालसा वहीर की टीम के सदस्य बापू तरलोक सिंह जल्लूपुर, सरबजीत सिंह सांसद फरीदकोट, सुखविंदर सिंह अगवान और पूरी टीम ने उपचुनाव को लेकर मीडिया में लगाई जा रही अटकलों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव न लड़ने का फैसला गंभीरता से विचार करने के बाद लिया गया है।
चर्चा में यह निष्कर्ष निकला कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक समान सांप्रदायिक उम्मीदवार होने की स्थिति में ही उपचुनाव प्रभावी ढंग से लड़ा जा सकता है, लेकिन वर्तमान में विभिन्न सांप्रदायिक दलों के संबंधों में आपसी कड़वाहट को देखते हुए ऐसा करना संभव नहीं लगता है।
दूसरा बड़ा कारण यह है कि इस समय हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य शिरोमणि अकाली दल के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित करना है ताकि सांप्रदायिक राजनीति को रास्ते से हटाया जा सके। ऐसा करने के लिए विभिन्न पक्षों के साथ सहज माहौल बनाने की सख्त जरूरत होगी।
लोकसभा चुनाव का हमारा अनुभव बताता है कि चुनाव के दौरान एक निर्वाचन क्षेत्र से एक से अधिक सांप्रदायिक उम्मीदवार होने की स्थिति में आपसी मतभेद और मतभेद बढ़ना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति भविष्य में सांप्रदायिक एकता के प्रयासों में बड़ी बाधा बन सकती है। आपसी टकराव के इस माहौल से बचने के लिए हमने उम्मीदवार न खड़ा करना ही बेहतर समझा।