2025 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक तकनीक द्वारा संचालित साइबर हमलों में तेजी देखने को मिल सकती है। भारत में डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (DSCI) और सेक्राइट द्वारा जारी “इंडिया साइबर थ्रेट रिपोर्ट 2025” में यह चेतावनी दी गई है कि स्वास्थ्य सेवा और वित्तीय क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र साइबर अपराधियों के प्राथमिक लक्ष्य होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि AI का उपयोग अब अत्यधिक परिष्कृत फ़िशिंग हमलों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा, जो डीपफेक तकनीक और व्यक्तिगत हमले के माध्यम से और भी प्रभावी होंगे। इससे साइबर अपराधियों के लिए उपयोगकर्ताओं को धोखा देना और संवेदनशील जानकारी प्राप्त करना आसान हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि AI-संचालित मैलवेयर पारंपरिक सुरक्षा उपायों को चकमा देने के लिए वास्तविक समय में अपने आप को अनुकूलित करेगा, जिससे उनका पता लगाना और भी कठिन हो जाएगा।
इसके अलावा, डेटा पॉइज़निंग जैसे हमले स्वास्थ्य सेवा और स्वायत्त परिवहन जैसे महत्वपूर्ण AI सिस्टम की सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं। AI क्षमताओं के बढ़ते एकीकरण से आपूर्ति श्रृंखला में भी नए प्रकार के साइबर खतरों का निर्माण होगा, जिसमें साइबर अपराधी समझौता किए गए संसाधनों और हार्डवेयर का उपयोग कर सकते हैं।
जैसे-जैसे AI उपकरण अधिक सुलभ हो रहे हैं, हमलावर अपने हमलों को स्वचालित और स्केल कर सकेंगे, जिससे व्यापक संख्या में पीड़ितों को निशाना बनाना आसान होगा। रिपोर्ट में रैनसमवेयर हमलों में वृद्धि की संभावना भी जताई गई है, जिसमें हमलावर डेटा की बहाली के लिए भुगतान की मांग करते हैं।