चंद्रमान-3 की सफलता का जश्न अभी पूरा भारत मना रहा है। हर एक भारतीय का सीना गौरव से चौड़ा हो गया है क्योंकि हमारा देश दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जा पहुंचा है। इसरो की इस बड़ी सफलता ने दुनिया में अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में नई जान फूंक दी है। इसके साथ ही अब भारत के इसरो में भी नए उत्साह का संचार हुआ है। चंद्रमान की सफलता पूर्वक लैंडिंग के बाद अब एक और बड़ी खबर सामने आ रही है।
चंद्रमान-3 की लैंडिंग के बाद अब भारत और जापान मिलकर चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी की उपस्थिति की पड़ताल करेंगे
अब भारत और जापान मिलकर चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी की उपस्थिति की पड़ताल करेंगे। इस खोज में इसमें रॉकेट और रोवर जापान का होगा जबकि लैंडर इसरो यानि की भारत का होगा। हाल ही में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ और जापान की नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑबजर्वेटरी के डायरेक्टर जनरल और जापान की नेशनल स्पेस पॉलिसी की कैबिनेट कमेटी के वाइस चेयर साकू सूनेका ने एक मीटिंग के बाद यह ऐलान किया था। चंद्रमा के धुव्रों पर पानी की पड़ताल का यह अभियान ज्वाइंट लूनार पोलर एक्सप्लोरर (ल्यूपेक्स) के जरिए किया जायेगा।
इस अभियान का ये है मकसद
ये प्रक्षेपण कुल सालो में शुरु होगा इसकी अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है। इस अभियान का मुख्य मकसद चंद्रमा पर पानी केस्रोतों की तलाश के अलावा, चंद्रमा के ध्रुवों पर एक बेस बनाने के लिए उचित जमीन तलाश करने के साथ ही वाहन समर्थन और लंबे समय तक उपकरणों के कायम रखने की तकनीकों पर भी काम होगा।
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ल्यूपेक्स यह गणना करने में मदद करेगा कि भविष्य हम चंद्रमा पर मानव अभियानों के लिए कितना ऑक्सीजन और हाइड्रोजन चंद्रमा पर ले जाना होगा और कितना स्थानीय संसाधन के तौर पर काम आ सकता है।